जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
मध्यप्रदेश (संस्कार सृजन) कुछ समय पहले की बात है।मुझे पेड़ लगाने का बहुत शौक था। मैं भी बाजार जाता था तो वहां से एक ना एक पेड़ तो लेकर आता था।
एक दिन मुझे पता लगा कि हमारे गांव में जो प्रधान जी हैं,उनके यहां सरकार की तरफ से माता रानी के मन्दिर पर बाग़ बनाने के लिए कुछ पेड़ आए हैं।तो मैने सोचा कि क्यों न मैं कुछ पेड़ प्रधान जी से मांग कर ले आऊं, तो मैं और मेरा दोस्त दोनों प्रधान जी के पास पहुंचे।
मैं, राम-राम प्रधान जी।
प्रधान जी, राम-राम बेटा राम-राम आओ बैठो।
प्रधान जी मैने सुना है कि माता रानी के मंदिर पर बाग़ बन रहा है।और उस के लिए कुछ पेड़ आए हैं।हां बेटा आए तो हैं लेकिन बो तो बांट दिया।अब तो थोड़े से बचे हैं। जो माता रानी के मंदिर बाले बाग़ में लगेंगे। कोई बात नहीं। हम चलते हैं, राम-राम जी ।राम - राम बेटा राम - राम ।।
हम दोनों वहां से निकल आए ।
तभी मेरा दोस्त बोला कि तुझे पता है,इन्होंने किसी को पेड़ नहीं बांटे, बल्कि खुद सरकारी जगह साफ करबा कर कुछ पेड़ उस में लगवा दिए हैं और कुछ इनके तबेले में रखे हैं।जो माता रानी के मंदिर पर बाग़ में लगेंगे।मैने कहा कोई बात नहीं बाजार से खरीद लाएंगे।।
कुछ दिनों बाद जो पेड़ उनके तबेले में रखे थे, उन्हें पानी नहीं मिलने के कारण बो सूखने लगे।और पैसे बचने के लालच में उन्होने माता रानी के मंदिर वाले बाग़ में भी लगाए।अब बो मेरे पास आए।।
राम -राम बेटा, राम-राम प्रधान जी राम - राम,आइए कैसे आना हुआ।उन्होंने मुझे कहा बेटा बो कुछ पेड़ रखे हैं,आप ले आना।मैने कहा चलो,मैने सोचा कि और पेड़ आए होंगे।जब मैं वहां पहुंचा तो देखा कि सारे पेड़ सुख चुके थे।बस 2-4 पेड़ सही बचे थे।मैने बो पेड़ आकर लगा दिए।कुछ दिन बाद बो पेड़ सही से लग गए।मुझे बहुत खुशी हुई और मैं रोज उन्हें रोज पानी देता था।।
अब कुछ सालो बाद,जो पेड़ प्रधान जी ने, उस सरकारी जगह में जो पेड़ लगाए थे । उन्हें बेचने के लिए काटने लगे।मुझे पता चला तो मैं वहां पहुंचा।
राम- राम प्रधान जी , राम- राम बेटा....।कैसे आना हुआ।प्रधान जी मैने सुना है आप ये पेड़ कटबा रहे हैं।हां बेटा हमें यहां कारखाना बनाना है।मैने कहा कारखाना तो और कहीं भी बन सकता हैं।बोले पेड़ों के पैसे भी तो आएंगे ,उनसे मदद मिलेगी।मेरे बहुत समझाने पर वो नहीं माने।।
कुछ दिनों बाद उनका बेटा बीमार हो गया।तो उसे ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी,लेकिन ऑक्सीजन ना मिलने के कारण उसकी मौत हो गई।अब कुछ दिनों बाद वी कारखाना भी असफल हो गया।
रचना -रोनू मावई
बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !
हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |
" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |
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