विद्या की देवी सरस्वती का त्योहार बसंत पंचमी

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) आज विद्या की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिन बसंत पंचमी के रूप में मनाया जा रहा है |  हिंदुओं के लिए पवित्र इस पर्व पर विद्या, वाणी और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की होती है | इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है | इसके पीछे पौराणिक मान्यता भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है | वैसे पंचमी तिथि बसंत के मौसम के आगमन का संकेत भी देती है |

लोग अपने घरों में स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयां बनाते हैं | इसके साथ ही बसंत के को लेकर कई जगह उत्सव भी मनाए जाते हैं, जहां लोग पीले वस्त्रों में सजे धजे गाते नाचते नजर आते हैं |

इसलिए पहनते हैं पीले रंग के कपड़े :- 

मान्यता है कि इस दिन सबसे पहले पीतांबर धारण करके भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किया था | तब से बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का प्रचलन है | देवी सरस्वती की आराधना बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी जैसे अनेक नामों से होती है | वहीं ज्योतिष के अनुसार पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन और शुभता के कारक माने जाते हैं | गुरु ग्रह के प्रभाव से धन बढ़ता है, सुख, समृद्धि प्राप्त होती है, पीले रंग का प्रयोग करने से गुरु ग्रह का प्रभाव बढ़ता है और जीवन में धन, दौलत, मान-यश की प्राप्ति होती है |

शुभ है पीला रंग :- 

हिंदू धर्म में पीला रंग बहुत शुभ माना जाता है, बसंत उत्सव मानने के लिए अपनी खुशी का इजहार करने के लिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के चावल बनाये जाते है |  हल्दी व चन्दन का तिलक लगाया जाता है | पीले लड्डू और केसरयुक्त खीर बना कर मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है | पीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजा, उपासना की जाती है | इसके साथ ही मां सरस्वती, भगवान कृष्ण और श्रीहरि विष्णु जी से प्रार्थना की जाती है कि आने वाला समय शुभ हो, उन्नति हो, जीवन में और सफलता मिले |

लेखक - उदयवीर सिंह यादव (भूतपूर्व सैनिक), जयपुर

शुभ है बसंत :- 

बसंत अत्यंत शुभ माना गया है |  पतझड़ के बाद बसंत ऋतु आती है | भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि "ऋतुओं में मैं बसंत हूं|" बसंत में मौसम सामान्य होने लगता है | सर्द हवाओं के तेवर कमजोर पड़ने लगते हैं | साफ शब्दों में समझें तो बंसत ऋतु में ना तो ज्यादा सर्दी होती है और ना ही गर्मी,इसलिए बंसत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है |

मां सरस्वती की कथा :- 

मान्यता है कि भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि का प्रारंभ किया और मनुष्य की रचना की,  लेकिन वे अपने सर्जन से संतुष्ट नहीं थे | उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है | इसके बाद विष्णु जी से सलाह लेकर ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल से जल छिड़का | जैसे ही जल की छीटें पृथ्वी पर बिखरीं तो उसमें कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ | यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था | अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी |


देवी ने बजाया वीणा :- 

ब्रह्मा जी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया | जैसे ही देवी ने वीणा बजाना शुरू किया, पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई| संसार के जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई,तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती कहा | मां सरस्वती विद्या और बुद्धि प्रदान करती हैं | बसंत पंचमी के दिन वे प्रकट हुईं थीं, इसलिए बसन्त पंचमी के दिन इनका जन्मदिन मनाया जाता है | मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है और विद्या और बुद्धि का वरदान मांगा जाता है |

लेखक - उदयवीर सिंह यादव (भूतपूर्व सैनिक), जयपुर


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