खुद अनुदान कमेटी व संघ पर लगा राजस्थानी सिनेमा को बर्बाद करने का आरोप

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) राजस्थानी भाषा की फिल्मों को सरकार की घोषणा के अनुसार समय पर पूरा अनुदान नहीं मिलने से यहां फिल्म निर्माताओं में गहरा रोष है। यहां फिल्म निर्माताओं ने अनुदान देने के लिए गठित कमेटी व एक संघ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। 

वर्ष 2017 में तत्कालीन सरकार ने "आपां  ने तो बेटी बचाणी है" को 3 लाख का अनुदान दिया जबकि सरकारी घोषणा के अनुसार इसे 10 लाख रूपए का अनुदान मिलना चाहिए था |

निर्माताओं ने कहा है कि राजस्थानी सिनेमा को खुद संघ और कमेटी की तरफ से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इन लोगों ने मिलकर राजस्थानी सिनेमा बर्बाद कर दिया है। इन्होंने सिर्फ अपनी - अपनी फिल्मों और अपने - अपने लोगों को ही अनुदान दिया है। यहां अनुदान 3 लाख, पांच लाख ही दिया है। यहां अंदर बहुत बड़ा कबाड़ा कर रखा है। सिनेमा के नाम पर संस्था बना रखी है। 


आरोप लगा है कि यहाँ पर कई तो दारू के एक क्वाटर, ऑफिस में बैठने की जगह, चाय व कचोरी में बिके हुए  हैं। यहां राजस्थान कला व संस्कृति विभाग खुद संदेह के घेरे में आ गया है। निर्माताओं ने कहा है कि राजस्थानी भाषा में बनी व सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र प्राप्त सभी राजस्थानी फिल्मों को पूरा अनुदान दिया जावे। यहां विभाग की पॉलिसी ही गलत बताई जा रही है। कमेटी में अनाड़ी अधिकारी  शामिल कर रखे बताए, जिन्हें मालूम ही नहीं है कि किस परेशानी से गुजरकर राजस्थानी फिल्मों का निर्माण होता है। राजस्थानी फिल्मों के निर्माताओं के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सरकार को सद्बुद्धि कब आएगी, यह अभी पता नहीं है। नए नियम क्या है, सब्सिडी देने के वह भी क्लियर नहीं है | इस बार तो निर्माताओं ने सवाल किया है कि कमेटी से जुड़े लोग बताए कि फिल्मों का अनुदान क्यों रोका गया है, कुछ फिल्मों के साथ भेदभाव रवैया क्यों अपनाया जा रहा है। आज नहीं तो कल जवाब देना ही पड़ेगा।


  

परेशान निर्माता बहुत जल्द अनुदान कमेटी पर कानूनी शिकंजा कसने जा रहे हैं। निर्माताओं ने कहा है कि अब राजस्थानी सिनेमा का और नुकसान नहीं होने देंगे। किसी के भी साथ गलत और भेदभाव नहीं होने देंगे। कुल मिलाकर यहां राजस्थानी सिनेमा को गर्त में धकेलने वाले कोई और नहीं खुद सिनेमा के ही लोग हैं।

- राजेंद्र सिंह शेखावत ,राजस्थानी फिल्म निर्माता (ये लेखक के अपने विचार हैं)


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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