जल्द ही आने वाला है बच्चों के लिए कोविड का टीका

  जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

नईदिल्ली (संस्कार न्यूज़) देश में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के बढ़ते मामलों और संभावित तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की खबरों के बीच उनके लिए टीके की तैयारियां तेज हो गई हैं। अभी भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, फाइजर और जायडस कैडिला की वैक्सीन मंजूरी पाने के सबसे करीब है।


कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने रविवार को बताया कि जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। जुलाई के आखिर तक या अगस्त में हम 12 से 18 साल उम्र के बच्चों को टीका देना शुरू कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ICMR एक स्टडी लेकर आया है। इसमें कहा गया है कि तीसरी लहर देर से आने की संभावना है। हमारे पास देश में हर किसी के वैक्सीनेशन के लिए 6-8 महीने का समय है। आने वाले दिनों में हमारा लक्ष्य हर दिन 1 करोड़ डोज लगाने का है।

एम्स चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन आना मील का पत्थर हासिल करने जैसी उपलब्धि होगी। इससे स्कूलों को फिर से खोलने और आउटडोर एक्टिविटी फिर से शुरू करने का रास्ता खुलेगा। 

भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के 2 से 18 साल उम्र के बच्चों पर हुए फेज 2 और 3 के ट्रायल के नतीजे सितंबर तक आने की उम्मीद है। ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी के बाद उस समय के आसपास भारत में बच्चों के लिए टीका आ सकता है।

अगर इससे पहले फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है, तो यह भी बच्चों के लिए एक विकल्प हो सकता है।

जायडस कैडिला भी जल्द ही अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के इमरजेंसी यूज के अप्रूवल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास अप्लाई कर सकती है। कंपनी का दावा है कि यह टीका वयस्कों और बच्चों दोनों को दिया जा सकता है।

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डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अगर जायडस की वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है, तो हमारे पास एक विकल्प और होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि बच्चों में ज्यादातर मामले हल्के संक्रमण के होते हैं। और कुछ में इसके लक्षण भी नहीं दिखते। हालांकि, वे संक्रमण के कैरियर हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि महामारी के कारण पिछले डेढ़ साल में पढ़ाई में बड़ा नुकसान हुआ है। इसलिए स्कूलों को फिर से खोलना होगा। वैक्सीनेशन इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। यही इस महामारी से बचने का उपाय है।

बच्चों में कोरोना संक्रमण की समीक्षा करने, महामारी से निपटने के नए तरीके खोजने और इसके लिए तैयारियों को मजबूत करने के लिए एक नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप बनाया गया है। बच्चों के वैक्सीनेशन के मुद्दे पर नीति आयोग के सदस्य  डॉ. वीके पॉल ने हाल ही में कहा था कि यह ग्रुप कोई छोटा नहीं है। मेरा अनुमान है कि 12 से 18 साल उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 13 से 14 करोड़ है। इसके लिए हमें 25-26 करोड़ डोज की जरूरत होगी।

सरकार ने हाल ही में आगाह किया है कि भले ही कोरोना ने अब तक बच्चों को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं किया है, लेकिन अगर वायरस के व्यवहार में बदलाव होता है तो ऐसे मामले बढ़ सकते हैं। हालांकि, ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी की जा रही है।


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