भारत के पहली बार विश्व विजेता बनने की पूरी कहानी

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संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

 नई दिल्ली (संस्कार न्यूज़) जून 1983 में तीसरे क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ। इस बार भारतीय टीम का कप्तान बदल चुका था। टीम में कुछ चेहरे भी बदल चुके थे। बावजूद इसके किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारतीय टीम फाइनल तक का सफर तय करेगी और विश्व विजेता बनकर उभरेगी। यहां तक कि कप्तान कपिल देव को भी इस बात की उम्मीद बहुत कम थी कि टीम खिताब जीत जाएगी, लेकिन कड़ी मेहनत और दमदार खेल के दम पर भारत विश्व विजेता बनने में सफल हो गया।


25 जून 1983 को लॉर्ड्स में विश्व कप का फाइनल मुकाबला भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया। वो वेस्टइंडीज की टीम को जो साल 1975 और 1979 का विश्व कप जीत चुकी थी। कैरेबियाई टीम के पास ऐसे खतरनाक गेंदबाज और बल्लेबाजों की फौज थी, जो रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड टीम के भी छक्के छुड़ा दे, लेकिन कपिल देव की करिश्माई कप्तानी के आगे वेस्टइंडीज के धुरंधर धराशायी हो गई और भारतीय टीम ने पहली बार क्रिकेट का विश्व चैंपियन बनने का तमगा हासिल कर लिया।

विश्व कप 1983 के फाइनल में भारतीय टीम टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी और 54.4 ओवर (तब वनडे मैच 60-60 ओवर के होते थे) में 183 रन बनाकर ढेर हो गई। इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं थी कि भारतीय टीम इतना कम स्कोर बना सकी थी, क्योंकि कैरेबियाई टीम के पास एंडी रोबर्ट्स, जोएल गार्नर, मैलकम मार्शल और माइकल होल्डिंग जैसे धाकड़ गेंदबाज थे। उनके आगे भारतीय क्या, दुनिया के किसी भी टीम के बल्लेबाज की एक नहीं चलती थी।

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भारत के लिए सबसे ज्यादा 57 गेंदों में 38 रन श्रीकांत ने बनाए। संदीप पाटिल ने 27,  मोहिंदर अमरनाथ ने 26, मदन लाल ने 17  और कप्तान कपिल देव ने 15 रन बनाए। भारत के पास खोने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ था। यही हुआ भी, क्योंकि 184 रन के लक्ष्य की पीछा करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम को एक के बाद एक झटके लगते चले गए और भारत, जिससे किसी को उम्मीद नहीं थे, उसने इतिहास रच दिया।

कैरेबियाई टीम 140 रन ही बना सकी और मुकाबला 43 रन के अंतर से हार गई। हालांकि, डेसमंड हेनस और सर विव रिचर्ड्स के बीच और जेफ डुजोन और मैलकम मार्शल के बीच हुई छोटी-छोटी साझेदारियों ने वेस्टइंडीज के लिए खिताबी हैट्रिक की उम्मीद तो जताई, लेकिन कप्तान कपिल देव की चाल में फंसते चले गए और भारत ने खिताबी जीत हासिल कर लंदन के लॉर्ड्स में तिरंगा फहरा दिया।


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