कोरोना वैक्सीन की किल्लत जल्द होगी दूर

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

हम सब मिलकर ऑक्सीजन,बेड,इंजेक्शन और वेंटीलेटर दिलाएं !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

नई दिल्ली (संस्कार न्यूज़) देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार वैक्सीनेशन अभियान पर काफी जोर दे रही है। हालांकि, इसके बावजूद वैक्सीन की कमी इसके आड़े आ रही है। वैक्सीन का तेजी से निर्माण करने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में कई अहम फैसले लिए हैं, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को उम्मीद है कि आईसीएमआर और हैदराबाद की भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही कोवैक्सीन की 55 करोड़ डोज इस साल अगस्त से दिसंबर तक उपलब्ध हो जाएगी। जहां एक ओर भारत बायोटेक प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाने की कोशिश कर रहा है तो वहीं, केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जिसे भारत बायोटेक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करेगा और वैक्सीन का बड़े स्तर पर निर्माण हो सकेगा। वहीं, केंद्र सरकार यह भी कह चुकी है कि कई और से भी बातचीत चल रही है।

तीन कंपनियां बनाएंगी एक करोड़ डोज हर महीने

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को तीन पीएसयू भी बनाएंगी। इसमें हैदराबाद की इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश की भारत इम्युनोलॉजिकल्स और बायोलॉजिकल्स कॉर्पारेशन एवं मुंबई का हैफकीन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग शामिल हैं। नीति आयोग (हेल्थ) के मेंबर वीके पॉल ने शनिवार को बताया था कि हमारी टीमों ने जाकर स्थिति का आकलन किया। समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, उन्हें तकनीक के बारे में समझाया गया। इन प्रयासों के कारण ही व्यवस्था को औपचारिक रूप दिया गया है। वहीं, सरकार ने यह भी कहा कि प्राइवेट फर्म्स का भी स्वागत है। यहां तक कि दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का भी कोवैक्सीन बनाने के लिए स्वागत है।

यह कंपनी बनाएगी दो करोड़ कोवैक्सीन
गुजरात सरकार, हेस्टर बायोसाइंसेज और ओमनीबीआरएक्स के साथ, ने भारत बायोटेक से तकनीक प्राप्त करने में रुचि व्यक्त करते हुए केंद्र से संपर्क किया है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो गुजरात से कोवैक्सीन की दो करोड़ खुराक का प्रोडक्शन होने का अनुमान है। हेस्टर बायोसाइंसेज के सीईओ और एमडी राजीव गांधी ने एक बयान में कहा, "भारत बायोटेक से तकनीक के माध्यम से कोविड वैक्सीन के निर्माण की संभावनाओं का पता लगाने के लिए, प्रमुख भागीदार के रूप में गुजरात सरकार के साथ एक त्रिपक्षीय संघ का गठन किया गया है।" 

कर्नाटक में जल्द होगा भारत बायोटेक का नया प्लांट
भारत बायोटेक जल्द ही कर्नाटक के मल्लूरु इंडस्ट्रियल इलाके में कोवैक्सीन बनाने के लिए प्लांट लगाने जा रही है। यह जगह बेंगलुरु से 80 किलोमीटर दूर है। राज्य सरकार ने बताया है कि इसके लिए निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है।

कई लैब्स नहीं बना सकती हैं कोवैक्सीन
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कोई भी लैब कोवैक्सीन का प्रोडक्शन करने में सक्षम हो। दरअसल, कोवैक्सीन लाइव इनएक्टिवेटेड वायरस की मदद से बनाई जाती है। इसी वजह से बायोसेफ्टी लैबोरेटरी-3 ही काम कर सकती है। कई कंपनियों के पास ऐसी प्रयोगशालाएं नहीं हैं जो लाइव वायरस के साथ काम करने वाले वैज्ञानिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हों।


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