गुरु तेग बहादुर मानवीय मूल्यों के पुरोधा थे : प्रो. अशोक शर्मा

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संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

लाडनूं (संस्कार न्यूज़ ) जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में गुरु तेग बहादुर के इस माह 400वें जन्म दिवस के उपलक्ष में उनके अवदान पर व्याख्यानमाला का आयोजन ऑनलाइन किया गया। 

शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर का स्थान अनूठा रहा है। 


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्यामलाल पी.जी.कॉलेज सिकारपुर बुलन्दशहर के प्राचार्य प्रो. अशोक शर्मा ने गुरु तेग बहादुर का पारिवारिक परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनका जन्म 1 अप्रैल 1621,अमृतसर में हुआ था। सिख धर्म के नौवें धर्म-गुरु तेग बहादुर का जन्म बैसाख पंचमी संवत 1678 ई. को मनाया जाता है। उनके पिता हरगोविंद सिंह, माता नानकी, पत्नी माता गुजरी थी। उनकी मृत्यु 11 नवंबर 1675 को चांदनी चैक दिल्ली में हुई। गुरु तेग बहादुर गुरु नानक के बताये मार्ग का अनुसरण किया। वे साहसी, निर्भीक, धार्मिक अडिगता, नैतिक उदारता, मानवीय धर्म के पुरोध रहे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की उपलब्धियों को सैदव याद किया जाता है। मानवीय मूल्यों के पुरोधा रहे है, धर्म परिवर्तन का सदैव विरोध, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण तथा वैचारिक स्वतंत्र के पक्षधर रहे। 


कार्यक्रम में डॉ. बी. प्रधान, डॉ. अमिता जैन, डॉ. सरोज राय, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारी लाल तथा शिक्षा विभाग की छात्राएं उपस्थित रही। कार्यक्रम में 160 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम दो सत्र में सम्पन्न हुआ। संयोजक प्रो. बीएल. जैन ने मुख्य वक्ता प्रो.अशोक शर्मा का परिचय व सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।


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