बाल दिवस पर विशेष आलेख

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

उत्तराखण्ड़ (संस्कार सृजन) 14 नवम्बर को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस को प्रतिवर्ष बाल दिवस के रूप में  मनाया जाता है |

बाल दिवस बच्चों के अधिकार शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण के कार्य हेतु बढावा देने, जागरूक किया जाता है। इन्हे राष्ट्र का भविष्य माना जाता है | बाल श्रम, बाल अपराध, बाल विवाह, बाल शोषण जैसे मानसिक एवं शारीरिक शोषण पर अंकुश लगाना है । बच्चो की देखभाल, सुरक्षा का वातावरण प्रदान करना सभी का सामाजिक दायित्व होता है।

बाल दिवस मात्र उपहार उत्सव का नही, बच्चो का जीवन ऐसा अनमोल सब कुछ नया सीखने सीखाने का आर्दश, चरित्र, भविष्य को नया आकार, कौशल विकास एवं सक्षम व्यक्तित्व बनाने का प्रयास करे। जिसमें शिक्षक, अभिभावक, समाज मे सभी की भूमिका है।

बाल्यावस्था बाल विकास की एक महत्वपूर्ण  अवस्था मानी जाती है। जन्म से शुरू होकर किशोरावस्था तक चलती है। अकसर स्कूल जाने की अवस्था भी कहा जाता है। 06 से 12 वर्ष की आयु मानी जाती है। इस अवधि मे बच्चो का शारीरिक, मानसिक भावनात्मक और सामाजिक विकास होता है। जिससे निर्भरता से स्वतंत्रता की और बढता है।

7 'सात' साल के बच्चो के मस्तिष्क "दिमाग" का 80 प्रतिशत विकास हो जाता है। प्यार खेल और बातचीत से दिमाग में न्यूरल कनेक्शन मजबूद बनते है, जो सींखने और सोचने की क्षमता बढाते है। कहानिया सुनना, साथ खेलना और मुस्कुरा कर बात करना, दिमाग की रचनात्मक और भावनात्मक ताकत, शक्ति को बढावा देता है। यह वह समय है जब प्यार और समझ देखकर बच्चो का मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास तेजी से होता है जो जन्म से शुरू हो कर लगभग पाच वर्ष की आयु तक प्राथमिक सामाजिक करण का हिस्सा है |

इसी दौरान बच्चा अपने परिवार से मूल्य, व्यवहार, भाषा और सामाजिक कौशल सीखने शुरू कर देता है। बच्चों को मारना, पीटना नही चाहिए ऐसा करने पर भयभीत एवं डरा रहता है। उसे प्यार और भरोसा नही रहता, उसके विकास पर प्रभाव पडता है। शान्ति एव प्यार से समझाओ तो प्यार से सुनता है। प्यार और तारीफ से ही बच्चो के अन्दर से मजबूत बनता है। बाल विकास के जनक मुख्य रूप से जीन पियाजे को माना जाता है जिन्होंने बाल विकास के संज्ञानात्मक सिद्धान्त को विकसित किया। बच्चो के विचार करने और सोचने सीखने के तरीके को समझने मे महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जीन रूसो को बाल केन्द्रित शिक्षा जगत प्रणाली की वकालत की जो उनकी स्वाभाविक अभिव्यक्ति और सीखने की प्रक्रिया पर केन्द्रित है। स्टेनली हॉल इन्होंने बाल अध्याय न आन्दोलन का जनक माना जाता है। जिन्होंने बच्चो के विकास और व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन पर जोर दिया। उददेश्य-जीवन के सभी क्षेत्र मे सफलता के लिए तैयार करना 2 महत्व आधार तैयार करना। 

निष्कर्ष - यह जीवन एक महत्वपूर्ण और कल्याणकारी चरण होता है जो लगभग 2 वर्ष से 12 13 वर्ष की आयु तक होता है। इसी अवधि मे बच्चा कल्पना से वास्तविकता में कदम रखता है। और व्यक्तित्व विकसित होता है।

यही अवस्था समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है और उसका पोषण, सुरक्षा, स्वास्थ्य वातावरण प्रदान करना आवश्यक है। भविष्य की नीव यह से शुरू होती है। यह बालाव्स्था ही विकास की सार्व भौमिक प्रक्रिया है। नशा प्रवृति अपराध, चौरी अनेक बुरी आदत से बचाया जा सकता है।

लेखक : डा० अशोक पाल सिंह शिक्षक, राजकीय उ. मा.बिझौली

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