जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
रूडकी (संस्कार सृजन) कर्नल अजय कोठियाल (सेवा निवृत्त) कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल ने कहा कि युवाओं के विकास में शिक्षा और कौशल अहम् भूमिका निभाते हैं। शिक्षा युवाओं के विकास के पथ में महत्वपूर्ण सोपान है क्योंकि यह समाज और अर्थव्यवस्था को आकार देती है। युवाओं को एक उच्च गुणवत्ता वाली,संस्कारयुक्त शिक्षा की आवश्यकता होती हैं जो उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण व्यवसायिक कौशल सिखाती है एवं उनके समग्र विकास में सहायक होती है। शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे हमारी भावी पीढी में संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से सींचकर उन्हें शक्ति में निर्मित करते हैं।
कर्नल अजय कोठियाल कैनाल रोड स्थित हरिद्वार यूनिवर्सिटी में आयोजित चतुर्थ अ.भा. शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उदघोष:शिक्षा का नया सवेरा व हरिद्वार यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में डॉ. नवप्रभाकर लाल गोस्वामी समेत देश के विभिन्न राज्यो से आए 20 विद्वानों उनकी शैक्षिक उपलब्धियों को दृष्टिगत करते हुए शिक्षा श्री एवं 45 शिक्षको को "टीचर्स आईकन एवार्ड" दिए गए।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉ.प्रेम चन्द शर्मा ने कहा कि किसी राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। विकसित, समृद्ध और खुशहाल देश व विश्व के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
इस मौके पर पद्मश्री कल्याण सिंह रावत (सेवानिवृत्त शिक्षक व मैती आन्दोलन के प्रणेता) ने कहा की आज कोई भी बालक 3-4 वर्ष की अवस्था में विद्यालयी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ जाता है। इस बचपन की अवस्था में बालक का मन-मस्तिष्क एक कोरे कागज के समान होता है। इस कोरे कागज रूपी मन-मस्तिष्क में विद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा शिक्षा के माध्यम से शुरूआत के वर्षो में दिये गये संस्कार एवं गुण उनके सम्पूर्ण जीवन को सुन्दर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उन्होने कहा कि समाज के वास्तविक शिल्पकार शिक्षक ही होते है।
शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ.नंद किशोर नौटियाल ने कहा कि किसी शिल्पकार एवं कुम्हार की भाँति ही स्कूलों एवं उसके शिक्षकों का यह प्रथम दायित्व एवं कर्त्तव्य है कि वह अपने यहाँ अध्ययनरत् सभी बच्चों को इस प्रकार से संवारे और सजाये कि उनके द्वारा शिक्षित किये गये सभी बच्चे 'विश्व का प्रकाश' बनकर सारे विश्व को अपनी रोशनी से प्रकाशित कर सकें।
बतौर विशिष्ट अतिथि पद्मश्री सेठ पाल सिंह (नवोन्मेषी कृषक) ने विद्यालय में किचन गार्डन कांसैप्ट की महत्ता व भूमिका की बाबत विस्तृत जानकारी देते हुए मौसमी सब्जी व ऑर्गेनिक गार्डन की जानकारी दी। समारोह की अध्यक्षता सी.ए. एस. के. गुप्ता (अध्यक्ष : हरिद्वार यूनिवर्सिटी, रूड़की) ने करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी स्थापना का उद्देश्य विद्यार्थियों में जिज्ञासा और नवाचार का माहौल विकसित करना, ऐसे क्रांतिकारी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करे और ज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाए।उन्होने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटी शिक्षा में एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करना जो उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ व्यावसायिक उत्कृष्टता पर जोर देती है, तथा स्नातकों को अपने व्यवसायों में आदर्श बनने के लिए तैयार करती है।
क्रियाकलापों से अपनी इस अवसर पर अतिथिगणों ने आईएसबीएन नंबर युक्त संजय शर्मा 'वत्स' के संपादन में नवप्रकाशित पुस्तक "उदघोष:शिक्षा का नया सवेरा" का भी विमोचन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन संयोजक संजय वत्स और अर्चना पांडे द्वारा संयुक्त रूप से किया |
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