जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार सृजन) आज का जमाना शिक्षा जगत का होने के नाते बालिकाओ को शिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि समाज का सर्वांगीण विकास हो। वह अपने अधिकारों को भलीभांति जान सके अपने आप को सशक्त बना सके अपने सपनों की उड़ान भर सके अन्याय व शोषण के खिलाफ आवाज उठा सके । महिला को जो कमजोर समझते हैं ऐसे लोगों का अपने काम के जरिए दिखा सके कि नारी किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं है । वैसे आज समाज में परिवर्तन आया है पुरुष महिलाओं को आगे बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। स्त्री-पुरुष एक गाडी के दो पहिए समान है। परिवार को चलाने की दोनो की जिम्मेदारी बराबर है । आज की महिलाएँ अधिकांश कार्यरत है । उन्हें वर्किंग प्लेस पर किसी भी प्रकार का शोषण हो रहा है तो उसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है न कि डिप्रेशन में आना है उसका डटकर मुकाबला करें। अपनी सुरक्षा हेतु आत्मरक्षा के गुर सीखना जरूरी है। हर समय सतर्क रहे।
सभी पुरुष ऐसे नहीं होते हैं ।पुरुषों की बात करें तो आज सफल महिलाओं के पीछे पुरुषों का हाथ होता है इस बात से नकारा नहीं जा सकता है। जैसे पिता ,भाई या पति के रूप में सहयोग मिलता है । इनके सहयोग के बिना नारी का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है । कुछ वासना के भूखे दरिंदो ने या यूं कहे मानसिक रोगियों ने कृकृत्य जैसा घिनौना जहर फैला रखा है ।
आज महिलाएं, युवतियां घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर हर क्षेत्र में जहां अपना परचम बेखूबी से लहरा रही हैं।आज भी कई सरकारी व निजी क्षेत्रों में महिलाओं को मानसिक व शारिरीक रूप से प्रताडित किया जा रहा है।वहीं अगर पुरुष वर्ग भी उनके प्रति अपना नजरिया बदल देंगे तो निश्चित ही भारत की हर बेटी-बहू का मान-सम्मान, इज्जत-आबरू की रक्षा होगी। जिस सीढी महिला के बलबुते पर आदमी यहां तक आया ,उसका तिरस्कार,अपमान कतई उचित नही। कहा जा सकता है कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी,दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है। उसे उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। सुनकर बडा दुख होता है खून खोलता है मन करता है उन दरिंदों को सबके सामने ऐसी सजा दी जाए कि किसी स्त्री को छूने से पहले काँप उठे। हमारे देश में बलात्कार की घटनाएँ सुर्खियों में होती है संदेश की घटना को सुन धक्का लगा अभी भी नारी कितनी पीडित है । कौन मसीहा कब आयेगा जो स्त्री की लाज बचाएगा । स्वतंत्र भारत में आज भी स्त्री असुरक्षित है।
हे ! स्त्री जाग स्वयं बन दुर्गा, धर रुप चंडी का ,
कर वध जो स्त्री
को करे तार - तार
आवाज उठा आगे बढ कारवा बढ़ा ,
ये जंग है आत्मसम्मान की प्रतिशोध ज्वाला का ।
हे ! स्त्री जाग स्वयं बन दुर्गा, धर रुप चंडी का ,
लेखक - राखी शुक्ला (प्रसिद्ध एंकर आरजे)
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