रेवड़ी कल्चर कहना गरीबों का अपमान : ओझा

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) राजनीति की अवधारणा में नीति प्रमुख है और उसकी एक आचार संहिता है जिसमें प्रजा का मंगल और उसका कल्याण निहित है लेकिन धीरे-धीरे नीति गौण हो गई और राजनीति में विकृतियां आ गई। मतदाताओं के साथ वायदे और सुविधाओं की घोषणा विवशता बन गई। इसी से राजनीति का पराभव, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सामाजिक विश्रृंखलता का रूप सामने आ रहा है।


मुक्त मंच जयपुर की 73वीं मासिक बैठक में यह विचार प्रतिष्ठित विद्वान डॉ. नरेंद्र शर्मा कुसुम ने जन कल्याण और रेवड़ी कल्चर विषय पर अध्यक्षीय संबोधन में व्यक्त किए। शब्द संसार के अध्यक्ष श्री श्रीकृष्ण शर्मा के संयोजन में यह संगोष्ठी हुई। 

डॉ. कुसुम ने कहा कि आमजन को सत्ता तंत्र के वायदों और भ्रमजाल के प्रति सजग रहकर लोकतंत्र की अस्मिता को बचाना होगा। शिक्षा, समाज सेवा, धर्म में ऊंचे उद्देश्य लेकर चलने वाले व्यक्ति इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैंअन्यथा रेवड़ियां बांटने वालों की स्वार्थपूर्ति होती रहेगी। 

मुख्य अतिथि भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अरुण ओझा ने कहा कि हमारे देश में दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले सामाजिक सुरक्षा बहुत कमजोर है। हमारे यहां विकास की दिशा भ्रांतिमूलक है जिससे अमीर अधिक अमीर और गरीब अधिक गरीब हो गया है। ऐसा विकास अर्थहीन है। रेवड़ी कल्चर कहकर हम गरीबों का अपमान कर रहे हैं। 

वरिष्ठ इंजीनियर और चिंतक दामोदर प्रसाद चिरानिया ने कहा कि समय-समय पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बच्चों को मुफ्त भोजन, जनता को सोने के सिक्के, टीवी, घरेलू सामान बांटने शुरू किए जो आज विविध प्रलोभनों तक पहुंच गई। अतः इसकी कोई सुदृढ़ नीति बननी चाहिए। 

डॉ. मंगल सोनगरा ने कहा कि हमारे संविधान में बेहतर शिक्षा, मुफ्त शिक्षा,सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं के संकेत मौजूद हैं। श्रीमती शालिनी शर्मा ने कहा कि सरकार जनता को जो भी सुविधाएं दे रही है वे राजकोष से देती है। कोई अपनी जेब से तो खर्च नहीं करता। 

बैंकर और स्वतंत्र चिंतक इन्द्र भंसाली ने कहा कि राजनेताओं के छल-छद्म से नागरिकों में रेवड़ी कल्चर से मुफ्तखोरी की प्रवृत्ति बढ़ी है। हमें राजनेताओं के लुभाने वाले कर्मकांडों से सावधान रहने की जरूरत है, तभी लोकतंत्र की साख बच सकेगी। 

प्रतिष्ठित व्यंग्यकार कवि फारूक आफरीदी ने कहा कि जनकल्याण संविधान की आत्मा है। सरकारों का दायित्व है कि वे गरीब, वंचित, पिछड़े तबकों के लिए काम करें। रेवड़ी कल्चर एक फूहड़ अवधारणा है। 

वित्तीय विशेषज्ञ एवं कथाकार आरके शर्मा ने कहा कि वंचितों को ऊपर उठाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं की महती आवश्यकता है। इसे सही रूप में लागू किया जाए। 

संगोष्ठी में स्तम्भकार ललित शर्मा, आईएएस (रि.) विष्णुलाल शर्मा, डॉ. सुषमा शर्मा,  पत्रकार अनिल यादव, व्यंग्यकार यशवंत कोठारी, समाजसेवी लोकेश शर्मा, उद्यमी रमेश कुमार खंडेलवाल, कवि कल्याण सिंह शेखावत, मीडिया कर्मी अरुण ठाकुर, अनन्त कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आमजन के जीवन को सरल और सुगम बनाना सरकार का दायित्व है। 

परम विदुषी परमहंस योगिनी डॉ. पुष्पलता गर्ग ने मनुर्भव का शाश्वत संदेश मानवता के लिए आवश्यक बताया और समाज में नैतिकता को मानवता के लिए आवश्यक बताया।

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