सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये मार्मिक पोस्ट

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) डॉक्टरों की हड़ताल पर CI सरदारशहर अनिलजी विश्नोई ने बहुत ही सटीक और

मार्मिक टिप्पणी (पोस्ट) की जिसे आप सबके साथ शेयर किया जा रहा है |

कल रात मुझे एक सपना आया कि मेरी पोस्टींग शहर कोतवाली मे एक एस.आई.के रूप मे हो गई है | मेरी पोस्टींग के कुछ दिनो बाद डाक्टरों ने पहली बार इस तरह की मानवता विहिन हड़ताल की जिसकी वजह से कई मासुमों को अपनी जान से हाथ धोना पडा |

प्रदेश मे चल रही डाक्टरों की हड़ताल कुछ दिनो बाद  खत्म हो गई | सरकार ने डाक्टरों की सभी मांगे मान ली है | सब कुछ पहले की तरह सुचारू हो गया था |

मेरे घर के नजदीक मेरे शहर के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित सरकारी डाक्टर का घर था | डाक्टर सहाब के दो जवान बेटीयाँ  व पत्नी थी, जो  डाक्टर साहब के साथ उसी घर मे रहती थी, | बेटीयाँ व पत्नी तीनो ही बहुत सुन्दर थी |

हमारे मोहल्ले के कुछ अपराधी प्रवृति के लड़के हमेशा उन तीनो को भूखे भेड़ियों की तरह घूरते रहते थे, लेकिन कानून के डर की वजह से वह उनका कुछ  नही कर पा रहे थे |

अचानक कुछ दिनो बाद पुलिस फोर्स ने भी सरकार से कुछ मांगों को लेकर हड़ताल कर दी | वेसे तो पुलिस फोर्स में कभी हडताल नही होती, लेकिन फोर्स ने सोचा की जब डाक्टर जितनी जिम्मेदार पोस्ट के लोग अपने छोटे से लालच के लिये हड़ताल जैसा कदम उठा सकते हैं तो पुलिस फोर्स क्यो नही हड़ताल कर सकती | यही सोच कर सब हडताल पर चले गए |

पुलिस के हड़ताल पर जाते ही हर तरफ अपराध का बोलबाला, हर तरफ लुट खसोठ ,छिनाझपठी का माहोल बन गया | मैं भी थाने से अपने घर के लिये यह सोच कर निकला की दो चार दिन तक आराम करूँगा | यही सोच कर अपने घर की और पैदल ही निकल पडा |

अचानक मेरे कानों मे किसी के चीखने पुकारने की आवाज आई | यह आवाज मेरे पड़ोस मे रहने वाले डाक्टर साहब के घर से आ रही थी | मैं जब वहां दौड़ कर पहुँचा तो मेरे होश ऊड गऐ | डाक्टर साहब एक कुर्सी पर लहु लुहान पड़े हुऐ थे | उनकी दोनो बेटीयाँ ओर पत्नी की इज्जत को लुटने के लिये कुछ भूखे भेडिये आतुर थे, जिन्होने उनके बदन से सभी कपडे भी एक हबसी की तरहा फाड दिये थे | उन मासूम बच्चीयो ने मुझे देखकर जोर से आवाज लगाई "अंकल हमे इन शैतानो से बचा लो, हम आपके हाथ जोडते हैं |"

यह सब देखकर मेरी आखों में लहू उतर आया | लेकिन मुझे देखकर वो गुंडे बहुत तेज हंसने लगे और हंसते हुऐ कहने लगे की यह इन्सपेक्टर तुम्हारी कुछ मदद नही कर सकता | यह भी तुम्हारे पापा की तरहा आज हडताल पर है और जब तक इनकी मांगे सरकार नही मानेगी तब तक यह अपनी हडताल नहीं तोड़ेंगे , समझी |

उस अपराधी की बात जैसे ही मेरे कानों मे गई मेरे मदद के बडे कदम रूक गऐ और मुझे याद आया की हम तो हडताल पर हैं | लेकिन एक बार फिर उस मासूम बच्ची  की आवाज मेरे दिल तक पहुची और दिल ने कहा की हमारी मांगे और आवश्यकता तो हमेशा यूं ही बनी रहेंगी | लेकिन मेरी गैर जिम्मेदारी और अपने कर्तव्य से मुहं  मोड लिया तो तीन मासूमों  की जिन्दगियाँ नरक हो जाएँगी | इस कशमकश में मेरा हाथ कब मेरी सर्विस रिवालवर पर चला गया  मालूम ही नहीं पड़ा और लगातार उन दरिंदो पर फायर किये , जिसकी वजह से दो दरिंदे वहीं ढेर हो गऐ और बाकी के चार मौका देखकर फरार हो गऐ | उन तीनों मासूमों ने भरी आंखो से और हाथ जोड कर मेरा आभार व्यक्त किया |

मैं वहां से वापस अपने थाने पर अपनी डूयुटी पर आ गया | मेरे साथियों ने हडताल के बारे मे मुझसे कहा तो मैंने कहा की कुछ पेशे शायद पैसा कमाने के लिये नही सिर्फ और सिर्फ सेवा के लिये होते हैं चाहे वो सेना की नौकरी बॉर्डर पर खड़े होकर देश की रक्षा करना हो या डाक्टर की नौकरी जो मरीज को मौत के मुंह से निकाल लाता है |

डाक्टरों की हडताल से किसी का इकलोता बेटा,बेटी,मां, बाप या किसी मासूम की जान जा सकती है |इन लोगों की हडताल में इन सब निर्दोष लोगों का क्या दोष है |

सियाचिन की बॉर्डर पर कंपकंपाती ठंड में खड़ा वो सैनिक पैसा कमाने के लिये नौकरी नहीं कर रहा | वो इसलिए नौकरी कर रहा है, ताकि उसके त्याग से उसके देश के और भाई बहन सुकून से रह सकें | सेवा का और देशभक्ति का भाव उसके मन में हैं |

हमारे समाज के सम्माननीय व जिम्मेदार हमारे सरकारी डाक्टर अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए , अपने अपने कर्तव्य का निर्वाह करें,क्योकि इस देश की जनता आपके अन्दर ईश्वर को देखती है | जय हिन्द! जय भारत ! देश के लिये जीना सीखे , देश के लिये मरें ।

नोट : यह पोस्ट सोशल मिडिया से ली गयी है | 

बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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