जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
लक्षमनगढ (संस्कार सृजन) युवा जब ठान ले तो बड़े से बड़ा बदलाव व परिवर्तन कर सकता है। इच्छा शक्ति जब हो तो असंभव भी संभव हो जाता है। ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है सदाबहार मौहल्ले के युवाओं ने जी हां हम बात कर रहे हैं यहां के अलमशहूर चौकान की । जब चौकान की बात करते हैं तो होली की याद आ जाती है। सदाबहार मौहल्ला स्थित गिन्दड स्थल जो स्थानीय लोगों के लिए साधारण बोलचाल की भाषा में चौकान के रूप में जाना पहचाना जाता है।
वर्तमान में पवन बोहरा, विनोद बोहरा, पं. गौरीशंकर शर्मा, सज्जन पारीक, शंकर पारीक गौरीशंकर शर्मा, कमल ब्यास, दिव्य प्रकाश चौमा,ल रवि चौमाल, संदीप नेता, विष्णु पारीक, एडवोकेट प्रदीप एम पारीक,राकेश सैनी आदि युवा परम्परा को कायम रखने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। इसी दौरान एक दौर ऐसा भी आया जब स्थल के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा ऐसी में युवाओं को अर्थ संग्रह कर न्यायालय तक का दरवाजा खटखटना पड़ा ।
युवाओं के होंसले,लगन व एकता ने उस दौरान आये संकट को पार पा लिया । मौजूदा दौर में या यूं कहें कि कोराना काल के बाद स्थल की कायापलट ही हो गई । यह स्थल अब पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जाने लगा है । जिसकी कमान भी एक बार फिर युवाओं के मजबूत कन्धों पर ही है । जिसकी अगुवानी कर रहे हैं पं.गोविन्द शर्मा, नरोत्तम पारीक, राजकुमार ढोलासवाला जिन्होंने स्थल के चारों ओर पेड पौधे व मैदान के बीच मे दुर्वा लगाकर इसे पार्क के तौर पर विकसित किया है । चौकान स्थल पर हरियाली विकसित करने की शुरुआत समाजसेवी उधोगपति महेश जोशी ने की ।
जोशी कोरोना काल के दौरान करीब एक हजार पेड़नगर में लगाने की इच्छा जाहिर करते हुए अपनी मंशा से पत्रकार बाबूलाल सैनी को अवगत कराया जिसकी शुरुआत सैनी ने जोशी से चौकान स्थल से करने का का प्रस्ताव रखा जिस पर जोशी ने पिंपल व नीम के पेड़ स्थल के चारों कोनों पर ट्री गार्ड सहित लगाकर सार संभाल की जिम्मेदारी विनोद सुबेकावाला को सौंपी । उस दिन के बाद पं.गोविन्द प्रसाद शर्मा ने पुरे चौकान का हरा भरा बनाने का जिम्मा अपने उपर लेकर काम मे जूटे गये जो करीब दो साल में पार्क के तौर पर विकसित होने लगा। फाल्गुन के समय गिन्दड की परम्परा को जीवंत रखते हुए चौकान को पार्क सा बना दिया है। दान दाताओं व भामाशाहो के सहयोग में अब सुबह शाम घूमने के लिए आने वाले बड़े बुजुर्गो व होली पर बैठकर गिन्दड देखने के लिए सिमेंन्टेड स्थाई कुर्सियों की व्यवस्था की जाने की योजना के साथ अन्य संसाधनों को विकसित कर पार्क के रूप में तैयार किया जा रहा है।
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" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |
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