अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस : 2 दिसंबर

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1986 से दुनिया भर में दास प्रथा को ख़त्म करने के लिए हर साल 2 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया  जाता है। इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य गुलामी के सभी रूपों, जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, सबसे बुरे रूप बाल श्रम, जबरन शादी और सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों की सेना में जबरन भर्ती से सम्बंधित मुद्दों के उन्मूलन के लिए सार्थक प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करना है |

लेखक : उदयवीर सिंह यादव 

आधुनिक दासता को बढ़ाने वाले कारण :-

1.गरीबी और आजीविका का संकट

2. बेरोजगारी

3. कानूनों की अनुपस्थिति या कानूनों का लचर कार्यान्वयन, निम्न सजा या सजा में देरी

4. समाज के वंचित वर्गों की सुभेद्य स्थिति

5. युद्ध और अशांति

6. प्राकृतिक आपदा

7. निरक्षता और जागरूकता की कमी

जबरन मज़दूरी कराना या बलात श्रम: 

बलात श्रम के पारंपरिक स्वरूप, बंधुआ श्रम, कर्ज ना चुकाने के एवज में श्रम लेना-ऋण बंधन का रूपांतरण दासता के आधुनिक संस्करण प्रवासी श्रमिकों के रूप में हो गया है। जिनका वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक शोषण के लिए तस्करी किया जाता है।  इन प्रवासी श्रमिकों को घरेलू सेवा, निर्माण उद्योग, खाद्य और परिधान उद्योग, कृषि क्षेत्र और जबरन वेश्यावृत्ति में जबरन कार्य कराया जाता है।


बाल श्रम: आज विश्व स्तर पर हर 10 में से एक बच्चा बाल श्रम का शिकार है एवं इसका अधिकांश हिस्सा आर्थिक शोषण के अंतर्गत आता है। यह बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के खिलाफ है जिसमें बच्चे को आर्थिक शोषण से मुक्त देते हुए ऐसे हर एक काम में इनका नियोजन प्रतिषेध किया गया है जो बच्चे की शिक्षा को प्रभावित करते हैं या यह बच्चे के स्वास्थ्य या शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक या सामाजिक विकास में बाधा डालते हैं। 


मानव तस्करी- व्यक्तियों एवं विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों की तस्करी को रोकने, शमन करने सजा देने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार व्यक्तियों की तस्करी का मतलब है  शोषण के उद्देश्य लोगों की भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण, उत्पीड़न बल प्रयोग या जबरदस्ती करना है। शोषण के दूसरे स्वरूपों में जबरन श्रम सेवाएं, दासता,वेश्यावृत्ति, मानव अंगों के व्यापार हेतु मानव अंग को निकालना इत्यादि शामिल है।

नोट : ये लेखक के अपने विचार हैं |


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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