शरीर की वृद्धि, शक्ति और संचालन के लिए योग्य अन्न का सेवन जरूरी- प्रो. जैन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

लाडनूं (संस्कार सृजन) जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में ईयर ऑफ़ मिलेट्स के तहत कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्देशत कार्यक्रमों के अंतर्गत शनिवार को ऑनलाइन एवं ऑफ़लाईन पद्धति की संयुक्त प्रणाली से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 109 प्रतिभागियों ने भाग लिया।


कार्यक्रम में प्रभारी डॉ. सरोज राय ने बताया कि वर्तमान समय के बदलते परिवेश में लोगों का आकर्षण फ़ास्ट फ़ूड के प्रति बढ़ रहा है।, जिसका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हमें मोटे अनाज को ग्रहण करना चाहिए, क्योकि यह धन-धान्य शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी को पूरी करता है। इनके सेवन से भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, फास्फोरस, फाइबर आदि मिलता है, जो कोलेस्ट्रोल, रक्तचाप, शुगर आदि को नियंत्रित करते हैं। 

कार्यक्रम के समन्वयक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने वैज्ञानिक और दार्शनिक आधार पर आहार के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो कुछ हम खाते हैं, उसे वेद में अन्न का गया है। जिस प्रकार का भोजन हम ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार का हमारा मन बनता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अन्न का सबसे पहले रस बनता है, इस रस का सार खून, खून का सार मांस, मांस का सार चर्बी, चर्बी का सार हड्डी, हड्डी का सार मज्जा, मज्जा का सार शुक्र या वीर्य, वीर्य का सार मन और मन का सार ओज है। 

शरीर के तीन मुख्य कार्य है- वृद्धि, शक्ति और संचालन। प्रोटीन और खनिज पदार्थ शरीर का विकास करते हैं, कार्बाेहाइड्रेट और वसा शरीर में शक्ति बढ़ाने का कार्य करते हैं और विटामिन्स शरीर के विभिन्न कार्याे को संचालित करते हैं। इस प्रकार संतुलित आहार ही हमारे जीवन को सर्वाेत्तम ढंग से विकसित करता है। हम सभी को अपनी दिनचर्या में मोटे और चोकर अनाज की रोटी, हरी सब्जी, फल, सलाद आदि को शामिल करना चाहिए, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ्य रह सके। 


कार्यक्रम समस्त संकाय सदस्य उपस्थित थे। डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरीराज भोजक, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरधारीलाल शर्मा, प्रमोद ओला आदि इस कार्यक्रम की श्रृंखला में पोस्टर प्रतियोगिता, सेमिनार, कार्यशाला वाद-विवाद भी क्रमशः आयोजित किए जाएंगे।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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