राष्ट्रीय कवि चौपाल की 41 वीं काव्य गोष्ठी में नरेश रतन चौहान का किया सम्मान

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

दौसा (संस्कार सृजन) राष्ट्रीय कवि चौपाल,दौसा की 41 वीं काव्य गोष्ठी का आयोजन बजरंग मैदान,दौसा में समाजसेवी कालूराम जायसवाल के मुख्यातिथ्य एवं राष्ट्रीय कवयित्री सपना सोनी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

मुख्य अतिथि का माला, मैडल व साफा पहनाकर सम्मान किया गया। सम्मान की अगली कड़ी में युवा कवि नरेश रतन चौहान को राष्ट्रीय कवि चौपाल सम्मान, मेडल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। साथ ही बांदीकुई के युवा साहित्यकार धर्मेन्द्र कुमार सैनी की प्रथम कहानी संग्रह "बुलंदियों के शहर" का स्थानीय साहित्यकारों के द्वारा विमोचन किया। 


काव्य गोष्ठी में मीनाक्षी पारीक- ने सरस्वती वंदना के साथ ही "हम बनाते रहे वो मिटाते रहे" पंक्तियां सुनाई....।

डॉ मुकेश गुप्त राज ने - "जब से तुमने उर वीणा के तार छूए हैं....रचना सुनाई।

धर्मेन्द्र कुमार सैनी ने- "हुए बेचैन मेरे बिन नहीं आराम लेते हैं".....कविता सुनाई।

वंदना जोन ने- "चंदा की शीतलता पापा सूरज की ताप है पापा" कविता सुनाकर अपने दिवंगत पिताजी को याद किया।

दिनेश कुमार प्रजापति ने- "दीवारों के भी कान होते हैं"....कविता सुनाकर आपसी सामंजस्य बिठाने की बात कही।

सपना सोनी ने - "तुम मृग बन जाओ कान्हा, मैं कस्तूरी बन जाऊं".... कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

बुद्धि प्रकाश मन ने- "दाता तो भगवान हैं गुरु इससे बड़े होय" दोहे सुनाएं...।

रामेश्वर प्रसाद करुण ने- "धरा हमारी माता है सबकी पालनहार" दोहे सुनाकर खूब वह वाही लूटी।

कवि कृष्ण कुमार सैनी ने - "कृष्ण तेरी गाय बेचारी भूखी मरती जा रही है" कविता सुनाकर आज की विसंगतियों पर कटाक्ष किया।

सोनू सैनी ने- "कुछ ना देना मगर इतना देना खुदा"....।

रूचिता खंडेलवाल ने - "क्यों सिमटूँ जब उन्मुक्त गगन है उड़ने को"......।

नरेश रतन चौहान ने - "पापा की लाडली थी वो दरिंदों के हाथों लगी"......।

सलमान सिकंदराबादी ने - "काले आदमियों के फायदे बताते हुए" हास्य कविता सुनाई।

राजेंद्र यादव आजाद ने- "कभी हुआ था महाभारत धर्म के लिए".....।

प्रजापति कैलाश सुमा ने सीडीएस बिपिन रावत जी को नमन करते हुए देश भक्ति कविता सुनाई।

संरक्षक रवीन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी ने- "घृणा द्वेष से क्या किसी ने पाया" कविता सुनाकर राष्ट्रीय कवि चौपाल मंच में आपसी प्रेम सौहार्द की बात कही।

धर्मेंद्र कुमार धर्मी ने - "गांव की शोभा बाढ़ हुआ करती थी"....।

हिमांशु चड्ढा ने - "कोई फूल से करता है, कोई किताब से करता है" कविता सुनाकर तालियां बटोरी।

जगदीश प्रसाद मिश्रा ने - "रातभर प्रेयसी याद आने लगी"....।

जगदीश प्रसाद गुप्ता ने- " वर्तमान परिपेक्ष पर आधारित कविता सुनाई"।


शिवचरण भंडाना ने संचालन करते हुए नववर्ष पर "स्वागत है नववर्ष" कविता सुनाई। काव्य गोष्ठी में श्रीराम पशु पक्षी सेवा संस्थान के पदाधिकारी घनश्याम जायसवाल कालूराम जायसवाल, महेंद्र जायसवाल विनोद सैन, किशन लाल सैनी भांडारेज, सुरेश सैनी भांडारेज, रक्तदाता रामकेश मीना, विष्णु पांचाल, रामजीलाल सैनी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। राष्ट्रीय कवि चौपाल के जिला अध्यक्ष कवि कृष्ण  कुमार सैनी ने सभी पधारे हुए साहित्यकारों व समाजसेवियों का हार्दिक आभार प्रकट किया।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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