दिव्यांगों को दया की भीख नहीं ,समाज में विकास के समान अवसर चाहिए

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

(संस्कार सृजन) विश्व विकलांगता दिवस हर साल 3 दिसंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन को मुख्य रूप से दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है | 1992 के बाद से ही दुनियाभर में विश्व विकलांग दिवस मनाया जा रहा है | विकलांग दिवस, विकलांग व्यक्तियों के प्रति करुणा, आत्म-सम्मान और उनके जीवन को बेहतर बनाने के समर्थन के उद्देश्य से मनाया जाता है |

लेखक - जीएस दायमा (पूर्व वरिष्ठ बैंक अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता)

विश्व विकलांग दिवस का इतिहास :-

संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 1981 को ''विकलांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष'' घोषित किया था | इसके बाद राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग लोगों के लिए पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिए एक योजना का निर्माण किया गया |

विकलांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय उत्सव के लिए ''पूर्ण सहभागिता और समानता'' की थीम का चुनाव किया गया था | इस थीम के तहत समाज में विकलांगों को बराबरी के अवसर, उनके अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने और सामान्य नागरिकों की तरह उनकी सेहत पर भी ध्यान देने के साथ सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया था |

उद्देश्य:-

अन्तरराष्ट्रीय विकलांग दिवस का उद्देश्य आधुनिक समाज में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के साथ हो रहे भेद-भाव को समाप्त किया जाना है। इस भेद-भाव में समाज और व्यक्ति दोनों की भूमिका रेखांकित होती रही है। भारत सरकार द्वारा किये गए प्रयास में, सरकारी सेवा में आरक्षण देना, योजनाओं में विकलांगो की भागीदारी को प्रमुखता देना, आदि को शामिल किया जाता रहा है।

वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार, भारत में 2.68 करोड़ विकलांग व्यक्ति हैं (जो कि कुल जनसंख्या का 2.21 प्रतिशत है)। कुल विकलांग व्यक्तियों में से 1.50 करोड़ पुरुष हैं और 1.18 करोड़ स्त्रियां हैं। देश की आबादी के 2.2 प्रतिशत लोग दिव्यांग हैं | अभी तक कानून में इनके लिए 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है | हमारे बीच कुछ जानी मानी हस्तियाँ हैं जो दिव्यांग के रूप में अपने अपने क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं | प्रख्यात संगीतकार और गायक स्वर्गीय रविन्द्र जैन, नृत्यांगना सोनल मान सिंह, नृत्यांगना सुधाचंद्रन, एवेरेस्ट पर चढ़ने  वाली पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है | 


प्रसिद्ध वैज्ञानिक हाकिंस भी कृत्रिम यंत्रों के सहारे सुनते, पढ़ते थे, लेकिन आज वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के सबसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाते हैं। गत दिनो वर्ल्ड पैरा चैम्पियनशिप खेलों में झुंझुनू जिले के दिव्यांग खिलाड़ी संदीप कुमार व जयपुर के सुन्दर गुर्जर ने भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर भारत का मान बढ़ाया है। हमारे आस पास कई ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने अपनी दिव्यांगता के बाद भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

ऐसी अनेक जानी मानी हस्तियाँ हैं जिन्होंने अपनी दिव्यांगता को सिद्ध किया है | अंत में हमारा कहना यही है कि किसी भी अशक्त दिव्यांग लोगों के साथ भेदभाव ना करें और यथसंभव उनकी मदद करें उन्हें काबिल बनायें ताकि वे अपने आपको समर्थ महसूस कर सकें |


सरकार द्वारा किए गए प्रयास :-

भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा का सिद्धांत सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं।


भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन कानूनों को लागू किया है, जो इस प्रकार हैं:

1. विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करता है।

2. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु  हर संभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।

3. भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।

कानूनी फ्रेमवर्क के अलावा, गहन संरचना का विकास किया गया है। निम्न सात राष्ट्रीय संस्थान हैं जो मानव बल के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, ये इस प्रकार हैं:

1. शारीरिक विकलांग संस्थान,  नई  दिल्ली

2. राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून

3. राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक विकलांग संस्थान, कोलकाता।

4. राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकंदराबाद।

5. राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई

6 राष्ट्रीय पुनर्वास तथा अनुसंधान संस्थान, कटक।

7. राष्ट्रीय बहु-विकलांग सशक्तीकरण संस्थान, चेन्नई ।


राष्ट्रीय नीति मानती है कि विकलांग व्यक्ति देश के लिए मूल्यवान मानव संसाधन होते हैं, तथा यह ऐसे व्यक्तियों को समान अवसरों, उनके अधिकार की सुरक्षा तथा समाज में पूर्ण भागीदारी का प्रयास करती है।

भारत में ऐसे व्यक्ति को विकलांग माना गया है जो चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रमाणित 40 प्रतिशत से अधिक शारीरिक विकलांगता का शिकार  हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जहाँ विश्व की 15 प्रतिशत आबादी किसी-न-किसी रूप में विकलांगता से पीडि़त है वहीं भारत की महज 2.21 प्रतिशत आबादी ही विकलांगता से पीडि़त है।इनके बारे मे समाज के लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरुरत है क्योंकि विकलांग होना कोई अभिशाप नहीं है। उन्हें किसी की दया नहीं बल्कि प्रोत्साहन की जरुरत है। उनमें भी कुछ कर गुजरने का दम है ,विकलांग भी किसी मामले में किसी से कम नहीं । शारीरिक अक्षमता होना जरुरी नहीं की व्यक्ति मानसिक रूप से भी अक्षम हो ।


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

विडियो देखने के लिए -https://www.youtube.com/channel/UCDNuBdPbTqYEOA-jHQPqY0Q 

अपने आसपास की खबरों , लेखों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 9214996258, 7014468512,9929701157.



इमरजेंसी नंबर :- पुलिस कंट्रोल रूम- 100, चौमूं थाना - 01423-221009, डीसीपी पूर्व- 0141-2203400, एसीपी चौमूं -01423-221456, गोविंदगढ़ थाना-01423-230023, डीएसपी गोविंदगढ़-01423-230905, जयपुर ग्रामीण एसपी-0141-2206869, एंबुलेंस-108, सीएचसी चौमूं -01423-221424, सीएचसी गोविंदगढ़ - 01423-230077, सीएचसी सामोद-01423-240105, बिजली हेल्पलाइन-6376917467, एक्स ईएन चौमूं-01423-220069, एईएन प्रथम-01423-220006, एईएन द्वितीय-01423-220013, निगम सामोद-01423-240004.


      

Post a Comment

0 Comments