आज 25 नवंबर को अलवर के स्थापना दिवस पर विशेष जानकारी

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

(संस्कार सृजन) अलवर एक ऐतिहासिक नगर है और इस क्षेत्र का इतिहास महाभारत से भी अधिक पुराना है। लेकिन महाभारत काल से इसका क्रमिक इतिहास प्राप्त होता है। महाभारत युद्ध से पूर्व यहाँ राजा विराट के पिता वेणु ने मत्स्यपुरी नामक नगर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया था। राजा विराट ने अपनी पिता की मृत्यु हो जाने के बाद मत्स्यपुरी से 35 मील पश्चिम में विराट (अब बैराठ) नामक नगर बसाकर इस प्रदेश की राजधानी बनाया। इसी विराट नगरी से लगभग 30 मील पूर्व की ओर स्थित पर्वतमालाओं के मध्य सरिस्का में पाण्डवों ने अज्ञातवास के समय निवास किया था |

लेखक - उदयवीर सिंह यादव

अलवर रियासत ब्रिटिश भारत में कछवाहा राजपूत राजवंश द्वारा शासित एक रियासत थी, जिसकी राजधानी अलवर नगर में थी। रियासत की स्थापना 25 नवंबर 1775 को माचाडी के राव प्रताप की थी।

मानसून में अलवर की पहाडियां हरियाली से भर जाती हैं, झील पानी से भरी होती हैं और पहाडियों से गिरते जल स्रोत अलवर की निराली छटा पेश करते हैं। अलवर से दक्षिण-पश्चिम की तरफ 45 किलोमीटर दूर तालवृक्ष नाम की जगह है। वर्षा ऋतु के समय यहां घूमने का अपना ही आनंद है। सरिस्का-अलवर रोड पर कुशलगढ से 10 किलोमीटर का रास्ता प्राकतिक सौन्दर्य से भरा पड़ा है। इसी रास्ते पर गंगा-मन्दिर है और गर्म-ठंडे पानी के जलस्त्रोत है। अलवर से 25 किलोमीटर दूर नतनी का बरन गांव हैं। यहां से 6 किलोमीटर दूर नालदेश्वर नामक जगह है। यह दोनों जगह अपनी हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग भी है। सिलीसेड झील अलवर का प्रसिद्ध स्थान हैं। इनसे थोडी ही दूरी पर विजय मंदिर पैलेस स्थित है।अलवर से 35 किलोमीटर की दूरी पर बाबा भर्तृहरि का पवित्र स्थल है जहां सभी वर्ग के लोग अपनी इच्छाएं पूरी होने पर सवामणि करते हैं। सावन और भादो के महिने में बाबा भर्तृहरि का मेला भरता है |


अलवर का मिल्क केक बहुत प्रसिद्ध है। स्थानीय लोग इसे कलाकंद के नाम से पुकारते हैं। कलाकंद के लिए ठाकुर दास एण्ड सन्स की दुकान पूरे अलवर शहर में प्रसिद्ध है। अलवर का कलाकंद पूरे देश में बहुत पसंद किया जाता है। बाबा कलाकंद के नाम से मिल्ककेक की बिक्री ज्यादा होती है |


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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