सामाजिक अनुसंधान का गिरता स्तर चिंताजनक- प्रो. व्यास

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

 लाडनूं (संस्कार न्यूज़) जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में सात दिवसीय नेशनल एफडीपी कार्यक्रम में मंगलवार को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के समाज कल्याण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.  केएन व्यास ने मुख्य वक्ता के रूप में 'सामाजिक अनुसंधान तथा विश्लेषण'  विषय पर अपने सम्बोधन में कहा कि नये तथ्यों की खोज, पुराने तथ्यों का पुन: परीक्षण तथा कार्य-कारण सम्बंधों का पता लगाना ही अनुसंधान है। अनुसंधानकर्ता को समय तथा संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर ही अनुसंधान करना चाहिए। उन्होंने अनुसंधान कार्य में ध्यान में रखी जाने वाले महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। 

प्रो. व्यास ने सामाजिक अनुसंधानों में सांख्यिकी के उपयोग के बारे में भी बताया तथा देश में हो रहे सामाजिक अनुसंधानों में गुणवता की कमी पर चिंता जताते हुए सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। प्रारम्भ में शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने एफडीपी कार्यक्रम की प्रेरणा व निर्देशन के लिए कुलपति प्रो. दूगड़ के प्रति आभार जताया तथा मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया। 

कार्यक्रम में देश के विविध शिक्षाविद् प्रो. रीटा शर्मा, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. अशोक सिडाना, डा. सुनिल कुमार तिवाड़ी, डा. अंजना अग्रवाल, डा. मौसम पारीक, डा. अमित राठौड़, डा. आशासिंह, डा. लिपि जैन, डा. रविन्द्र राठौड़, डा. अविनाश पारीक, डा. किरण आदि उपस्थित रहे। - रिपोर्ट : जगदीश यायावर 


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