जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !
संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी
चौमूं (संस्कार न्यूज़ ) कुछ सालों पहले भाजपा से बगावत करके राजस्थान में अपनी नई पार्टी बनाने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की एक बार फिर बीजेपी में वापसी हो गई है | पू्र्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से बगावत कर खुद की पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने और बाद में कांग्रेस पार्टी का साथ देंनेे वाले घनश्याम तिवाड़ी का राजस्थान भाजपा कार्यालय में स्वागत हुआ और भाजपा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मौजूदगी में उनकी घर वापसी हुई |
इस मौके पर घनश्याम तिवारी ने कहा कि उनके कुछ मुद्दे थे जिनको लेकर उनकी नाराजगी थी और उन्हें भारत वाहिनी पार्टी बनानी पड़ी | तिवारी ने यह भी साफ किया कि वह सिर्फ कांग्रेस के मंच पर गए थे, कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य नहीं बने, ना ही कांग्रेस में शामिल हुए | भारतीय जनता पार्टी से बाहर रहकर मेरे मन में छटपटाहट थी, वह छटपटाहट कब खत्म हुई और वापस BJP में आकर मेरी तमन्ना पूरी हो गई |
उधर सियासी गलियारों में घनश्याम तिवाड़ी की वापसी के प्लस और माइनस पॉइंट्स पर चर्चा होने लगी है | तिवारी के आने से किसको नुकसान होगा और किसको फायदा होगा इस समीकरण पर ना केवल बीजेपी में चर्चा चल रही है बल्कि कांग्रेस में भी यह चर्चा जोरों पर है , क्योंकि कुछ समय पहले यह बातें भी सामने आई थी कि घनश्याम तिवाड़ी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ बड़ा पद दे सकते हैं | अशोक गहलोत और घनश्याम तिवारी के बेहतरीन संबंध किसी से छुपे नहीं हैं |
आपको जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के खेमे में जाने वाले घनश्याम तिवाड़ी काफी लंबे समय से कांग्रेस में अलग-थलग पड़े थे | इसी के चलते वो कांग्रेस के कार्यक्रमों से दूरी ही बनाए नज़र आते थे | वह इस दौरान भी लगातार भाजपा नेताओं के संपर्क में रहते थे और इसी कड़ी में उनकी भाजपा में वापसी हुई |
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