अपना घर आश्रम की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण, सेवा का रजत पर्व मनाया

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

जयपुर (संस्कार सृजन) मां माधुरी बृज वारिस सेवा संस्था “अपना घर आश्रम” की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर भरतपुर मुख्यालय पर 4 एवं 5 अक्टूबर को रजत जयंती वर्ष महोत्सव का शुभारंभ हुआ। समारोह का प्रारंभ अतिथियों द्वारा 25 दीपों के प्रज्वलन से किया गया। 

संस्था के राष्ट्रीय सचिव विनोद सिंघल ने 25 वर्षों की सेवा यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि “अपना घर आश्रम” की शुरुआत डॉ. बी.एम. भारद्वाज एवं डॉ. माधुरी भारद्वाज ने एक असहाय पीड़ित “प्रभुजी” को अपने क्लिनिक में आश्रय देकर की थी। आज यह विचारधारा बन चुकी है—“अपना घर केवल संस्था नहीं, यह दीन-दुखियों का घर और मानवता का मंदिर है।”

डॉ. भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान में देशभर में 65 शाखाएँ तथा एक शाखा काठमांडू (नेपाल) में संचालित हैं। इन आश्रमों में इस समय 15,500 प्रभुजी निवासरत हैं। स्थापना से अब तक 65,000 से अधिक प्रभुजी को आश्रय दिया गया, जिनमें से 36,000 प्रभुजी अपने परिजनों से पुनर्मिलन कर चुके हैं।

केवल भरतपुर आश्रम में 7,000 से अधिक प्रभुजी रह रहे हैं और 7,500 बेड की क्षमता वाला यह केंद्र अब विश्व का सबसे बड़ा सेवा स्थल बन चुका है | डॉ. भारद्वाज ने बताया कि सेवा का यह संकल्प ठाकुर जी की कृपा से निरंतर आगे बढ़ रहा है — “जब हमने यह कार्य शुरू किया, तो सोचा था मुश्किल से 100–200 असहाय मिलेंगे, पर ठाकुर ने यह सेवा का विराट स्वरूप दिखाया। आज भी संसाधनों की कोई कमी नहीं रही।”

संस्था के सभी आश्रमों का दैनिक खर्च लगभग 30 लाख रुपये है, जिसमें से केवल भरतपुर आश्रम पर ही 10 लाख रुपये प्रतिदिन व्यय होते हैं। यहां की व्यवस्था पूर्णतः “ठाकुर जी” की कृपा पर आधारित है — भक्तजन प्रतिदिन ठाकुर जी को चिट्ठी लिखकर अपनी आवश्यकताएं बताते हैं, जो अद्भुत रूप से पूरी हो जाती हैं।

भरतपुर आश्रम अब मानवता का तीर्थ स्थल बन चुका है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु बसों एवं अन्य साधनों से दर्शन हेतु आते हैं। जिला परिषद सीईओ मृदुल सिंह ने कहा कि “यहां जो सेवा और सहयोग आर्थिक-सामाजिक रूप से दिया जा रहा है, वह वास्तव में अविश्वसनीय है।” 

इस अवसर पर “सेवा के पथ पर 25 वर्ष का सफर” पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। विचार-मंथन सत्र में संस्था के पदाधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए और यह संकल्प लिया कि “अब कोई प्रभुजन सेवा के अभाव में दम न तोड़े” — इस उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा।

समारोह में परमानंद महाराज (रोहतक), राष्ट्रीय अध्यक्ष रामस्वरूप अग्रवाल, दिल्ली आश्रम के सांवरमल गोयल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता, बयाना विधायक ऋतु बनावत, मुंबई के अशोक गोयल, उत्तर प्रदेश के अपर महाधिवक्ता एन.सी. चतुर्वेदी, सचिव बसंत लाल गुप्ता, एवं भरतपुर आश्रम अध्यक्षा बबीता गुलाटी ने भी अपने विचार रखे।

उदयपुर आश्रम की ओर से संरक्षक सुरेश विजयवर्गीय के सानिध्य में अध्यक्ष गोपाल कनेरिया, सुनील चौहान, प्रकाश जोशी, सुभाष मेहता, आर.के. गर्ग, राजेश पुरबिया, चंदा पुरबिया, एवं मंजू जैन ने सहभागिता दर्ज कराई |

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