जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
कोटा (संस्कार सृजन) हर वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों और अधिकारों की समीक्षा का अवसर प्रदान करता है। हालांकि 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में महिला साक्षरता दर 65.46% थी, हाल के वर्षों में इसमें अभूतपूर्व सुधार देखा गया है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी 'भारत में महिलाएँ और पुरुष 2023' रिपोर्ट के अनुसार, महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 2017-18 में 23.3% से बढ़कर 2022-23 में 37% हो गई है |
महिला सुरक्षा के मामले में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि अपराध दर को राज्य की जनसंख्या के संदर्भ में देखा जाए।
सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना और महिला स्वयं सहायता समूह। राजस्थान सरकार ने 'महिला ग्राम सेवा सहकारी समितियाँ' और 'लखपति दीदी' योजना जैसी पहलों की शुरुआत की है, जिनका उद्देश्य महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है। इन प्रयासों के बावजूद, महिलाओं के खिलाफ अपराध और असमानता की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
सशक्तिकरण के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समाज की मानसिकता में बदलाव आवश्यक है। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में समान अवसर प्रदान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। जब महिलाएँ आत्मनिर्भर बनेंगी, तो समाज और देश की प्रगति सुनिश्चित होगी।
महिला दिवस हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं की प्रगति ही समाज की प्रगति है। सोशल एक्टिविस्ट एकेडमिक रिसर्चर लाइफ कोच डॉ नयन प्रकाश गांधी के अनुसार आज यह समय की मांग है कि पुरुष और महिला कंधे से कंधा मिलाकर समानता के साथ कार्य करे वहीं महिला वर्ग को व्यवसायिक जगत में कार्य कुशलता के साथ पारंपरिक रीति रिवाज भारतीय संस्कृति, व्यवहारकुशलता भारतीय पारिवारिक शिष्टाचार पर मजबूती से चलना होगा |
नैतिक, सामाजिक, धार्मिक, भारतीय संस्कृति मूल्यों के सापेक्ष अगर महिला सशक्तिकरण भारत जैसे युवा देश में प्रगति पर अग्रसर होता है तो यह सशक्तिकरण सकारात्मक रूप से देश की प्रगति में जरूर योगदान देगा और अगर महिला अपने सशक्तिकरण होने के साथ पारिवारिक मूल्यों को तोड़े तो इसका प्रभाव देश के टूटते रिश्ते, तनावग्रस्त जीवन, झूठे आपराधिक केस, कार्यस्थल पर अनैतिक संबंध परिवार प्रबंधन, माँ, पत्नी, बेटी और बहु आदि के विभिन्न पायदानों पर संतुलित पारिवारिक जीवन आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण के साथ चुनौती भरा भी हो सकता है ।आइए, हम सभी मिलकर लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए निरंतर प्रयास करें, क्योंकि "महिला शक्ति, राष्ट्र शक्ति"।
डॉ नयन प्रकाश गांधी
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