जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
नई दिल्ली (संस्कार सृजन) महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में अब तक 50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं और अभी भी बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इतनी ज्यादा मात्रा में लोगों के स्नान की वजह से पानी का प्रदूषण लेवल बढ़ रहा है। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (NGT) गंगा-यमुना संगम के प्रदूषण के मामले में आज सुनवाई करेगा। आपको बता दें की आरोप लगाया गया है कि सीवेज के पानी को रोकने के कोई उपाय नहीं किए हैं। जिसकी वजह से पानी में खतरनाक बैक्टीरिया पाए जा रहे है।
नहाने लायक नहीं पानी :-
इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी इस रिपोर्ट के मुताबिक पानी में खतरनाक बैक्टीरिया फेकल कोलीफॉर्म (FC) पाया गया। इसमें साफ कहा गया है कि यह पानी स्नान के लायक नहीं है। NGT का कहना है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UP PCB) एनजीटी के आदेशों का पालन नहीं कर रही है। और अभी तक कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है।
टाइफाइड, डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा :-
सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पानी में फेकल सांद्रता में वृद्धि हुई है। सीपीसीबी ने दावा किया कि विभिन्न अवसरों पर बैक्टीरिया की सांद्रता काफी ज्यादा थी। यह मुख्य रूप से मानव व पशु मल से आता है। इससे टाइफाइड, डायरिया, हैजा जैसे रोग फैल सकते हैं। स्नान के पानी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 2500 एमपीएन/100 एमएल से अधिक नहीं होना चाहिए।
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