जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार सृजन) एस.एस. जैन सुबोध गर्ल्स पी.जी. कॉलेज, सांगानेर में "एक्सप्लोरेशन, इंटीग्रेशन एण्ड इम्प्लीमेंटेशन ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स् इन हॉयर एजुकेशन" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
दिनांक 20 जनवरी 2025 को उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. अल्पना कटेजा, कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि डॉ. ओम प्रकाश बैरवा, आयुक्त, कॉलेज शिक्षा निदेशालय, जयपुर, एस.एस. जैन सुबोध शिक्षा समिति के सचिव सुमेर सिंह बोथरा, महाविद्यालय संयोजक संजीव कोठारी, मुख्य वक्ता प्रो. रमेश के. अरोरा, चेयरपर्सन, मैनेजमेन्ट डेवलपमेन्ट ऐकॅडमी, कॉलेज प्राचार्या डॉ. रीटा जैन, संगोष्ठी संयोजिका डॉ. अंजु शर्मा आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. अल्पना कटेजा ने सतत् विकास के लक्ष्यों से संबंधित जानकारी दी। साथ ही उन्होंने निर्धारित 17 सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु 2020 से 2030 दशक को "डिकेड ऑफ एक्शन" अर्थात् निर्णायक दशक के रूप में बताया। इस संबंध में उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से बचने के लिए वृक्षों, जल, पहाड़ों, नदियों, पशु-पक्षियों, वायु तथा पर्यावरण पर विशेष ध्यान देते हुए प्राकृतिक संसाधनों के समुचित विदोहन की आवश्यकता पर बल दिया जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वायु तथा जल उपलब्ध करवा सके। विशिष्ट अतिथि डॉ. ओम प्रकाश बैरवा ने भी अपने उद्बोधन में सतत विकास लक्ष्यों में उच्च शिक्षा की महत्ता समझाते हुए जानकारी दी कि यही वह समय है | जब हम सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटते हुए एक सुदृढ़ और समावेशी भविष्य की ओर बढ़ सकते है।
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रो.रमेश अरोड़ा ने वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा सतत विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए एक शिक्षक बनने के लिए ना केवल पारंपरिक शिक्षण कौशल बल्कि समग्र, नवाचारी और दूरदर्शी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन प्रथम तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र के अध्यक्ष प्रो. अनुराग शर्मा, डीन मैनेजमेंट, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर थे। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. एस.एन. अम्बेडकर, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़, डॉ. एस.पी सारस्वत, सेवाननिवृत्त प्राचार्य, राजकीय पी.जी. महाविद्यालय, मुरैना, मध्यप्रदेश तथा प्रो. सूर्यप्रकाश, वाणिज्य संकाय, एस.आर.सी.सी., दिल्ली विश्वविद्यालय रहे। प्रथम तकनीकी सत्र में देश के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से आये प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों ने कुल 37 शोधपत्रों का वाचन किया।
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