जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
जयपुर (संस्कार सृजन) हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस बार इसकी शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है, जो कि 7 नवंबर तक चलेगा।
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लेखक-उदयवीर सिंह यादव |
इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर 2024, मंगलवार के दिन है | नहाय खाय वाले दिन छठ करने वाली महिलाएं नहा-धोकर भगवान की पूजा करती है | जिसके बाद बिना लहसुन और प्याज के खाने को पकाया जाता है | नहाय खाय वाले दिन घीया और चने की दाल से भोजन बनाया जाता है |
खरना में क्या होता है :-
छठ महापर्व का दूसरे दिन को खरना कहा जाता है | इस साल खरना 6 नवंबर 2024, बुधवार के दिन है | खरना वाले दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती है | शाम के समय गुड़ की खीर को पकाया जाता है और उसे रोटी पर रखकर भगवान को अर्पित करने के बाद सभी लोगों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है |
संध्या अर्घ्य में क्या होता है :-
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है | 7 नवंबर के दिन संध्या अर्घ्य है | छठ पूजा का ये दिन बेहद अहम होता है | इस दिन व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय किसी भी जगह पानी के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य देती है |
उषा अर्घ्य या पारण में क्या होता है :-
छठ महापर्व के चौथे और अंतिम दिन को उषा अर्घ्य कहा जाता है | इस दिन व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती है | जिसके बाद ही महिलाएं व्रत का पारण करती है | जिसके बाद सभी को छठ का विशेष प्रसाद जिसे ठेकुआ भी कहा जाता है, लोगों को बांटा जाता है |
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