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संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
राजस्थान की राजधानी जयपुर का स्थापना दिवस मनाया जाता है | 18 नवंबर 2024 को जयपुर शहर पूरे 297 साल का हो जाएगा। दुनिया भर में अपनी संस्कृति के लिए एक अलग पहचान रखने वाले जयपुर को गुलाबी नगरी, कला नगरी और सांस्कृतिक की नगरी भी कहा जाता है | खूबसूरत जयपुर शहर को तीनों ओर से घेरे हुए अरावली पर्वतमाला और भी आकर्षित बनाती है।
दुनिया भर में राजधानी जयपुर सांस्कृतिक, हेरिटेज, वास्तु कला, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत में अपनी अलग पहचान रखने वाला शहर माना जाता है | खूबसूरत और आकर्षक पिंकसिटी की स्थापना 18 नवंबर 1727 को आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी | देश में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी शहर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया हो | इसके साथ ही महाराजा जयसिंह को वास्तु शास्त्र का ज्ञान था जिसके कारण उन्होंने शहर का निर्माण नवग्रह को ध्यान में रखते हुए किया |
नाहरगढ़ का किला, हवामहल, शीश महल,आमेर का किला, जल महल और गणेश पोल जैसी हेरिटेज स्थान गुलाबी नगरी की खूबसूरती में और अधिक चार चांद लगाते है | पूरे शहर के महलों और पुराने घरों में लगे ऐतिहासिक गुलाबी ढोलपुरी पत्थरों से जयपुर और अधिक खूबसूरत एवं आकर्षक दिखता है | क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है |
‘परकोटा’ जिसे मिली थी जैपर के नाम से पहचान : -
जयपुर शहर जिसका भीतरी क्षेत्र परकोटा के नाम से जाना जाता है। जब जयपुर शहर की स्थापना हुई थी तो सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया था। इसके लिए पुरे शहर के एंट्री के लिए 15 ऊंचाई वाले दरवाजे बनाए गए। प्रत्येक दरवाजे का नाम भगवान के नाम पर रखा गया। सभी गेट पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई। इनके नाम चांदपोल गेट, सूरजपोल गेट, गंगापोल गेट, सांगानेरी गेट, अजमेरी गेट, जोरावर सिंह गेट रखें गए।
हर मकान का रंग है गुलाबी : -
जयपुर को पिंकसिटी या गुलाबी नगरी से भी दुनियाभर में पहचान मिली हुई है। यहां आपको सभी मकान, दुकान का रंग गुलाबी मिलेगा। इसकी बसावट निहारने के लिए हर साल लाखों देशी-विदेशी पावणे समंदर पार से खिंचे चले आते हैं। कहा जाता है कि ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ ने एक बार 1876 में जयपुर का दौरा किया था, उनके आने की खबर मिली, तो उनके स्वागत में महाराजा सवाई मानसिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था। तभी से इस शहर का नाम ‘पिंक सिटी’ पड़ गया।
कई ऐतिहासिक धरोहर जो बढ़ाती है जयपुर की शान : -
जयपुर स्थापना के समय परकोटे तक ही सीमित था। 15 दरवाजे वाले परकोटे में आज भी कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जो शायद दुनिया में कहीं और नहीं है। ये धरोहर जयपुर की शान को चार चांद लगाती है। यहां उस समय के राजपरिवार के रहने के लिए सिटी पैलेस का निर्माण किया गया था। इसके अलावा जयपुर में जब आप घूमने आओगे तो आपको यहां जंतर-मंतर, हवामहल, अल्बर्ट हॉल, नाहरगढ़, जयगढ़, आमेर फोर्ट और गोविन्द देव जी का मंदिर ऐसी कई ऐतिहासिक धरोहर है, जो जयपुर शहर की शान में चार चांद लगाती है |
जयपुर का राजमंदिर सिनेमा हाल, बिडला मंदिर, मोती डूंगरी गणेश जी का मंदिर, वर्ल्ड ट्रेड पार्क, पिंक सिटी पर्ल, जलधारा दर्शनीय स्थल है। जवाहरात और कीमति पत्थरों से बनी ज्वेलरी की विश्व में मांग है।
जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम आज भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है।
लेखक - उदयवीर सिंह यादव
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