जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
नारी तो है धरा जगत की,
नारी से संसार।
नारी से है जन्म सभी का,
नारी से अवतार।
नारी से अस्तित्व हमारा,
नारी से परिवार।
नारी से पोषण शैशव में,
नारी गर्भ आधार।
नारी असली सेवक सबकी,
नारी से आहार।
नारी घर की गृहणी होती,
नारी खेवनहार।
नारी पहली शिक्षक होती,
नारी विद्यालय-परिवार।
मुश्किल है नारी का वर्णन,
नारी-महिमा अपरम्पार।
लेखक - विजय मेहंदी, बरसठी,जौनपुर
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बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !
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