जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
भारत के अस्तित्व में छद्म उन्माद सा छा गया
लगता है वूमन्स डे का त्योहार आ गया।
महादेव से पहले पार्वती को महिला दिवस पर पूजा गया,
राम से पहिले सीता का नाम लिया गया,
कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया गया
फिर बारह महीने उसे दूजा,हीन,अबला समझा गया।
एक दिन के सम्मान के बाद आदमी अपने पुरुषत्व पर आ गया ।
देश मे नारी शक्ति का मान फिर भारत माँ की गोद मे समा गया।
लगता है हर वर्ष की तरह वुमन्स डे/महिला दिवस फिर आ गया।
अरे सम्मान करना ही है मातृशक्ति का तो,
बेटियों को शिक्षित और शसक्त बनाओ।
उन्हें बालपन में मत ब्याहो,उन पर पहरे मत बिठाओ,
डॉक्टर ,इंजीनियर,प्रोफेसर ,प्रिंसिपल बनाओ ।
एसपी, डीएसपी, कलेक्टर,वैज्ञानिक,पायलेट बनाओ ।
और नारी नर की खान को शिक्षा से समृद्ध बनाओ।
अपने बच्चो,युवाओं को आदर्श चरित्रवान बनाओ।
सब पुरुष जाति को नारियों की सुरक्षा व सम्मान करना सिखाओ।
बेटियों को इंदिरा,मदर टेरेसा,सुनीता विलियम्स,किरण बेदी बनाओ।
किसी को कमला हैरिस,आग सांग सु की ,बछेंद्री पाल, सरोजनी,भंडार नायके बनाओ।
माया ,ममता,वसुंधरा,प्रतिभा,इंदिरा द्रोपदी मुर्मू बनाओ।
फिर मातृशक्ति का सम्मान बढ़ाओ।
महिला दिवस उत्सव तो अच्छा है सबके मन को भा गया।
लोकतंत्र में गजब का कागजी उन्माद छा गया,
लगता है वूमन्स डे का त्योहार आ गया।
घर घर मे नारी की अभिव्यक्ति को आजाद करवाओ,
उसके आचार विचार पर पहरे मत बिठाओ,
शोषण व बलात्कार से मातृशक्ति को मुक्त करवाओ,
फिर नवरात्रि ,महिला दिवस, वूमन्स डे मनाओ।
अरे हर दिन टी वी,समाचार पत्रों में फिर नारी अत्याचार ,
दुराचार,अनाचार का समाचार आ गया ।
लगता है फिर वूमन्स डे का त्योहार आ गया।
मातृशक्ति को तलाक,विवाह विच्छेद का डर मत बताओ,
भारतीयों नारी को मानसम्मान,शिक्षा,उन्नति ,कीर्ति, प्रेम से समृद्ध बनाओ।
केवल उपभोग की वस्तु मानकर,
मणिपुर,संदेशखाली,निर्भया जैसी नारी अत्याचार की घटनाओं को मत दोहराओ।
भारतीय नारी को अबला मत बनाओ ,
मातृशक्ति महिला को बलवान, सबला ,सशक्त बनाओ ,
तब सच्चे अर्थों में महिला दिवस मनाओ।
लेखक : राजेन्द्र आचार्य राजन, भवानीमंडी, राजस्थान
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बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !
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