राधा स्वामी सत्संग सहजो द्वारा हुआ सत्संग का आयोजन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) राधास्वामी सत्संग सहजो चौमूं डेरा बाबा मेघा दासजी महाराज तपोभूमि के तत्वाधान में सेवादास महाराज ने सहजो बाई जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज के लगभग 70-80 वर्ष पूर्व यह स्थान दल्ला भूत के टीले के नाम से जाना जाता था जिससे आसपास के लोगों में भय व्याप्त था, लेकिन सहजोबाई जी महाराज ने इस स्थान को सर्वोत्तम मानकर सुरत शब्द योग एवं राधास्वामी नाम के प्रकाश का एक दीपक जलाया जिससे लोगों में व्याप्त अज्ञान रूपी तिमिर के बादल छट गए।

एक जन्म गुरु भक्ति कर जन्म दूसरे नाम, जन्म तीसरे मुक्तिपथ चौथे में निजधाम, प्रवचन में महाराज श्री ने बताया कि जिस प्रकार एक किसान अपने खेत में बीज डालने से पहले उसकी जुताई एवं सफाई कर लेता है उसके उपरांत बीज की बुवाई करता है, ताकि फसल अच्छी हो सके, इसी प्रकार जैसे हमें घर में बिजली की जरूरत होती है तो सबसे पहले हम विभाग में आवेदन पत्र देते हैं | उसके बाद विद्युत विभाग द्वारा हमें बिजली का कनेक्शन देता है, जिससे हम अपने घर में प्रकाश से सरोबार हो जाते हैं | ठीक उसी प्रकार इस जीव को आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश के लिए सर्वप्रथम सत्संग में जाना पड़ता है जिससे मन की सफाई एवं अच्छे विचारों का उदय होना शुरू हो जाता है तथा जीव के भी जिज्ञासा बढ़ती जाती है | वह परम शक्ति से जुड़ने के लिए आतुर रहता है |

इसके लिए वक्त गुरु की आवश्यकता होती है, उनसे जुड़ने पर आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति होती है | जीव की जिज्ञासा एवं तड़प, पात्रता को देखकर वक्त गुरुद्वारा नामदान की दीक्षा दी जाती है | नामदान में सुरत शब्द योग के अभ्यास की युक्ति बताई जाती है जो जीव को भजन, सुमिरन, ध्यान आदि का अभ्यास करना होता है | जितना अधिक अभ्यास बढ़ता है जीव सांसारिक युग में रहते हुए मालिक का भजन करता है | वह एक सौभाग्यशाली जीव होता है | धीरे-धीरे जीव  अभ्यास से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जो हमारे शरीर में निहित थे वह सतगुरु की दया मेहर से इनमें भी परिवर्तन होता जाता है | यह शील, क्षमा, संतोष, दया और प्रेम में परिणित हो जाते हैं | जीव में भी सरलता व विनम्रता के  भाव का उदय होता है | परिणाम स्वरूप जीव में दिव्यता बढ़ती है | आत्मा को मन की शक्ति का सही संग साथ मिल जाता है तो वह शक्ति उसे सही दिशा में ले जाती है | विचारों में सकारात्मकता एवं पवित्रता का तेज झलकने लगता है | इस स्थिति में जीव भजन सुमिरन एवं अभ्यास द्वारा इस सांसारिक व्यवस्थाओं से विमुख होकर परमात्मा की तरफ कदम बढ़ाता है तो समय-समय पर उसे आश्चर्यजनक परिणाम एवं चमत्कार देखने को मिलते हैं | गुरु द्वारा बताई गई युक्ति से जीते जी मरने का अभ्यास करना चाहिए |

भजन ध्यान सुमिरन के माध्यम से लोक एवं परलोक दोनों सुधारते हैं वक्त गुरु का आश्रय ले तभी हम आत्मा में प्रकृति के रहस्य को जानकर अपने सच्चे स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ हो सकते हैं | वास्तविक ज्ञान ही जीवन का सार है और आत्मा का प्रकाश है | एक मात्र सच्चा ज्ञान ही इस संसार में अक्षय तत्व है बाकी सब कुछ नश्वर एवं मिथ्या है | 

राधास्वामी कोऑर्डिनेटर गुरचरण सैनी ने बताया कि इस दौरान विधायक रामलाल शर्मा सहित क्षेत्र के काफी गणमान्य लोगों ने शिरकत की | अंत में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पंगत प्रसादी ग्रहण की |

बहुत जरूरी सूचना :- रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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