जयपुर में एससी एसटी महापंचायत में मंच पर ही भिड़ पड़े नेता

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) जयपुर मानसरोवर में एससी एसटी महापंचायत में मंत्रियों के बोलने को लेकर विवाद हो गया। विवाद की शुरुआत आपदा राहत मंत्री गोविंद मेघवाल के भाषण से हुई। मेघवाल ने जैसे ही भाषण शुरू किया तो आयोजकों ने उन्हें दो मिनट में भाषण खत्म करने को कहा। बीच में टोकने पर मंत्री मेघवाल नाराज हो गए और कहा कि आप भाषण खत्म ही समझिए, जब बात ही पूरी नहीं रख सकते तो फिर मतलब ही क्या है।

मेघवाल नाराज होकर मंच से नीचे उतरे और कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इस दौरान नारेबाजी हो गई। मेघवाल के महापंचायत छोड़ने के बाद मंत्री ममता भूपेश, भजन लाल जाटव, टीकाराम जूली भी कार्यक्रम से चले गए। मंत्रियों के मंच छोड़ते ही वहां कार्यकर्ता भिड़ गए। एससी एसटी समुदाय की 22 पेंडिंग मांगों को लेकर जयपुर के मानसरोवर ग्राउंड में रविवार को महापंचायत हुई। नेता बोले- दलित-आदिवासियों को केवल वोट बैंक समझना बंद करें |

विधानसभा चुनावों से पहले एससी-एसटी ने पेंडिंग मांगों को लेकर केंद्र-राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महापंचायत में एससी-एसटी समुदाय के मंत्री और विधायक भी बड़ी संख्या में जुटे ।

महापंचायत में दलित आदिवासी समुदाय के नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर लंबित पड़ी मांगों का समाधान नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है। नेताओं ने कहा कि दलित और आदिवासियों के वोट सबको चाहिए, लेकिन वे जब मांग करें, अपने अधिकार मांगें तो जातिवाद का ठप्पा लगाकर डायवर्ट करने का प्रयास किया जाता है।

दोनों वर्गों की सबसे ज्यादा आबादी है, इसके बावजूद मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाना सरकारों की मानसिकता को दर्शाता है। सरकारें दोनों समुदायों को केवल वोट बैंक समझना बंद करें, हक की बात आए तो वह भी उसी तरह से दें।

महापंचायत के सचिव जीएल वर्मा ने कहा- राजस्थान सरकार के स्तर पर 22 और केन्द्र सरकार के पास 14 डिमांड पेंडिंग हैं इनका जल्द समाधान किया जाए। 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान प्रदेश में एससी-एसटी के लोगों पर 322 एफआईआर हुई थी। सरकार ने वादा किया था कि ये मुकदमे वापस लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक नहीं लिए गए। कई स्टूडेंट्स पर भी केस दर्ज किए गए थे।

महापंचायत में सरकार की भर्तियों में बैकलॉग का मुद्दा भी प्रमुखता से छाया हुआ है। वक्ताओं ने बैकलॉग के पद भरने की मांग की है। नेताओं ने कहा कि यूनिवर्सिटी को एक इकाई मानते हुए आरक्षण रोस्टर के तहत सहायक प्रोफेसर, सह-प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों पर एससी एसटी के बैकलॉग रिक्तियों को भर के पूरा नहीं किया जा रहा है।

महापंचायत में मांग की गई है कि राजस्थान सरकार के सभी विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भी विशेष अभियान चलाकर भरा जाए। 11 जनवरी 2022 से पहले से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को संविदा नियम 4 के तहत फिर अनुबंधित करते समय आरक्षित वर्गों के रिक्त पदों को भरा जाए।

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