जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !
सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !
संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी
चौमूँ / जयपुर (संस्कार सृजन) आज प्रदेश में किसानों को लाइन में खड़े देख कर चिंता जाहिर की है | समाजसेवी कालूराम झाझडिया अमरपुरा ने किसान यूरिया और डीएपी की खाद लेने के लिए लंबी कतार में खड़े है | पुलिस प्रशासन की देखरेख में यूरिया और डीएपी खाद के टोकनों का वितरण किया जा रहा है | इन दिनों किसान को खेत में यूरिया और डीएपी खाद की बहुत जरूरत है लेकिन पर्याप्त मात्रा में डीएपी और यूरिया खाद नहीं मिलने के कारण किसानों को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है, यह बहुत ही चिंता का विषय है | केंद्र सरकार व राज्य सरकार आपस में भेदभाव का आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और किसान परेशान है |
किसान की चिंता किसी को भी दिखाई नहीं दे रही है आज अन्नदाता दुखी हालत में है और किसान संगठन भी मौन है, इसी का नतीजा है कि संगठन मजबूत नहीं होने के कारण आज किसानों को बड़ी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है | आखिर देश व प्रदेश में कब सुधरेंगे हालात, आखिर कब तक लाइनों में खड़े रहेंगे हमारे अन्नदाता, कहीं प्रदेश में कालाबाजारी तो नहीं हो रही है | आज जल स्तर नीचे जा रहा है व आज प्रदेश और देश का किसान कर्ज तले दबा हुआ है | आखिर कब होगी किसानों की आय दुगनी, किसानों को समय पर नहीं तो बिजली दी जाती है और ना ही समय पर कृषि कनेक्शन मिल पाता है, नहीं समय पर अतिवृष्टि से होने वाली फसल का मुआवजा दिया जाता है |
आज राज्य व देश के अन्नदाता की ऐसी स्थिति काफी बेहद चिंताजनक है। सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा कि आखिर ऐसे हालात क्यों बन रहे हैं। समय पर खाद क्यों नहीं मिल पा रहा है | इस हालात से कैसे निपटा जा सकता है। भौगोलिक दृष्टिकोण से राजस्थान एक विशाल राज्य है अत यहाँ धरातलीय विविधताओं का होना स्वाभाविक है। राज्य में पर्वतीय क्षेत्र, पठारी प्रदेश एवं मैदानी और मरुस्थली प्रदेशों का विस्तार है अर्थात यहाँ उच्चावच सम्बन्धी विविधतायें है। यहां खेती बाड़ी कठिन है। उस पर से सिंचाई की माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातर किसान मानसून की बारिश पर निर्भर हैं और जलस्तर नीचे जाने के कारण संसाधनों के अभाव में किसानों को जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। सरकारी व्यवस्था में उदासीनता के कारण कर्ज लेकर किसान अपने स्तर से बीज व खाद की व्यवस्था करते हैं। इसमें अगर बीज फर्जी कंपनी के निकल गए तो उम्मीदों से तैयार की गई फसल उपज देने के वक्त अरमानों पर पानी फेर देती है। जिससे किसानों की कमर ही टूट जाती है। ऐसे में किसानों के सामने आगे सिर्फ अंधेरा ही दिखता है।
किसानों को कर्ज देने की जो व्यवस्था है, क्या वह सही है, इस पर भी विचार करना होगा। अगर कभी बेहतर उत्पादन होता भी है तो उसका वाजिब मूल्य किसानों को नहीं मिल पाता है। बिचौलिये के दबाव में औने-पौने दाम में उन्हें अपनी फसल बेचनी पड़ती है। जब किसानों के खेत में बंपर पैदावार होने के कारण हरी सब्जियों को किसान सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर हो जाते हैं कारण यह कि उन्हें 50 पैसे प्रति किलो टमाटर बेचने की नौबत आ जाती है। जो किसानों की लागत तो दूर मंडी तक आने जाने का खर्च भी वहन नहीं कर पाते हैं | किसानों की हताशा का यह भी एक बड़ा कारण है। सरकारी मिशनरी को इस दिशा में क्रियाशील होना होगा ताकि किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिल सके। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसानों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का सही लाभ उन्हें मिल सके और किसान अपने आप को संरक्षित महसूस कर सकें। खेती के लिए सरकारी मदद के साथ फसल बीमा का लाभ भी किसानों को मिले, इस दिशा में सरकार को गंभीर होना होगा। तभी किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और मौत को गले लगाने जैसे आत्मघाती कदम वे नहीं उठाएंगे।
हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |
" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |
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