मानव धर्म सबसे ऊँचा होता है:-गुरु नानक देव जी

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) गुरु नानक देव का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी ग्राम में हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे एक खत्री क्षत्रिय कुल में हुए थे। तलवंडी वर्तमान में पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त का एक नगर था। कालू चंद जी खत्री जी इनके पिताजी व तृप्ता देवी इनकी माँ थी। तलवंडी ही आगे चलकर ननकाना साहिब के नाम से जानी लगी।बालपन से ही ये प्रखर बुद्धि के धनी थे। ये सांसारिक विषयों से सदा दूर ही रहे थे। धार्मिक प्रवृत्ति के धनी थे। कुरीतियों अंधविश्वास अंधश्रद्धा को मिटाने का इन्होंने जीवन भर काम किया व कुरीतितों का सदा विरोध किया। गुरु वाणियों को संकलित कर गुरु ग्रंथ साहिब की रचना की। मानवता का पाठ पढ़ाकर इन्होंने बताया कि जाति मजहब से ऊँचा मानव धर्म होता है। हमें एक दूसरे पर विश्वास कर एकता के साथ रहना गुरु नानक देव जी ने सिखाया। इन्होंने एक सिख पंथ चलाया जो सिख धर्म कहलाया। ये सिखों के प्रथम गुरु कहलाए।

आध्यात्मिक चिंतन व सत्संग में ये अपने जीवन का अधिक समय बिताते थे। इसलिए सारा समाज इन्हें दिव्य व्यक्तित्व का धनी मानते थे। गाँव गॉंव के लोग इनमें असीम श्रद्धा रखने लगे । इनकी शादी बचपन मे ही गुरुदासपुर की सुलक्षणी से कर दी गई। जब ये बत्तीस वर्ष के हुए थे तो इनके एक पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ था। चार साल बाद दूसरे पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई जो लक्ष्मीदास था। 1507 में अपने ससुर के पास दोनों बेटों को छोड़कर ये तीर्थ यात्रा के लिए निकले। इनके साथ इनके 4 शिष्य थे|  मरदाना, लहना, बाला और रामदास थे ये चारों घूमते व उपदेश देते थे। ये भारत, अफगानिस्तान, फारस, अरब के मुख्य मुख्य स्थानों पर गए।  पंजाबी में इन्हें उदासियाँ कहते हैं। 

नानकदेव जी सर्वेश्वर वादी थे। उन्होंने सनातन मत की मूर्तिपूजा की शैली के विपरीत एक परमात्मा की उपासना का एक अलग मार्ग मानवता को दिया। उन्होंने हिन्दू पंथ के सुधार के लिए अनेक कार्य किया। उन्होंने उस समय की राजनीतिक सामाजिक धार्मिक स्थितियों पर भी दृष्टि डालकर देखा। संतों के साहित्य में गुरु नानक देव जी को सन्त श्रेणी में रखा जाता है। भक्तिकाल में हिंदी साहित्य में गुरुनानक का नाम अग्रणी रहता है। वे भक्तिकाल में निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रयी शाखा से सम्बंध रखते थे। नानक देव जी के गाये भजनों का संकलन 1661 में गुरु ग्रन्थ साहिब में किया गया।नानक सूफी कवि थे। उनके कोमल ह्रदय से भावपूर्ण काव्य रचनाएँ सृजित हुई। उनकी भाषा बहते नीर सी थी। वे पंजाबी सिंधी खड़ी बोली व फारसी मुल्तानी, अरबी भाषा में सिद्धहस्त थे। गुरु ग्रन्थ साहिब उनकी प्रसिद्ध कृति है।

गुरु नानक जी कहते थे हर मनुष्य को सबसे पहले खुद की बुराइयों व गलत आदतों पर विजय पाने की कोशिश करना चाहिए। हर इंसान को हमेशा अच्छे व सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए। उन्होंने एक ओंकार का नारा दिया था। वो कहते थे सबका पिता एक है। ईश्वर एक है । इसलिए सभी लोगों को एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।

डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित"

कवि, साहित्यकार

भवानीमंडी जिला - झालावाड  


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