विश्व टेलीविजन दिवस पर विशेष लेख

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) दिसंबर 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस घोषित किया था | उसी वर्ष पहला विश्व टेलीविजन फोरम आयोजित किया गया था | संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, टेलीविजन के जरिए दुनिया में शांति और सुरक्षा के लिए विभिन्न संघर्षों और खतरों के साथ-साथ अन्य प्रमुख मुद्दों को कवर किया जाता है | साफ शब्दों में कहे तो विश्व भर में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर टेलीविजन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इसे मान्यता देने का फैसला लिया गया था।


सूचना क्रांति में टेलीविजन की भूमिका रही महत्वपूर्ण - सूचना क्रांति के इस युग में टेलीविजन मानवीय जीवन में आमूल चूल परिवर्तन लाने में एक बड़ा माध्यम साबित हुआ है। आज पूरी दुनिया पर टेलीविजन का जादू छाया हुआ है। यह केवल मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन ही नहीं है बल्कि इसने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, व्यक्तिगत संबंधों, यात्रा आदि के संदर्भ में भी ज्ञान का भंडार खोल दिया है। यह संस्कृतियों व रीति-रिवाजों के आदान-प्रदान के रूप में उभरकर सामने आया है। 

मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है टेलीविजन - आज टेलीविजन विभिन्न आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करने में मदद कर रहा है। वर्तमान में यह मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत के रूप में उभरा है। इससे विश्व संकीर्ण हुआ है और भूमंडलीकरण का असर दिखने लगा है। परिणामस्वरूप हम सुदूर आयोजित हो रहे कार्यक्रमों का आनंद अब लाइव टीवी के जरिए घर बैठे लेने लगे हैं।

पहला टेलीविजन सेट कोलकाता में खरीदा गया - भारत में पहली बार लोगों को टीवी के दर्शन 1950 में हुए, जब चेन्नई के एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने एक प्रदर्शनी में पहली बार टेलीविजन सबके सामने रखा। भारत में पहला टेलीविजन सेट कोलकाता के एक अमीर नियोगी परिवार ने खरीदा था। 1965 में ऑल इंडिया रेडियो ने रोजाना टीवी ट्रांसमिशन शुरू कर दिया। 1976 में सरकार ने टीवी को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर दिया। 1982 में पहली बार राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल की शुरुआत हुई। यही वो साल था जब भारत में पहला कलर टीवी भी आया। 80-90 का दशक भारत में टेलीविजन के विस्तार का रास्ता खोलता गया। दूरदर्शन पर महाभारत और रामायण जैसी सीरियलों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

लेखक - उदयवीर सिंह यादव

हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार सृजन " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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