कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए किनती घातक साबित होगी

 जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

नई दिल्ली (संस्कार न्यूज़) देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जिस कदर बरपा, उससे आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस बीच महामारी की तीसरी लहर आने की चर्चा काफी तेज हो गई है। दावा किया जा रहा है कि तीसरी लहर का असर मासूम बच्चों पर पड़ेगा, जिसने खौफ काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। इनके अलावा कोरोना का लगातार बदलता रूप भी चिंता बढ़ा रहा है। 




एम्स-डब्ल्यूएचओ ने दी यह जानकारी


कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कुछ दिन पहले डब्ल्यूएचओ और एम्स की एक रिपोर्ट सामने आई। दरअसल, यह रिसर्च मार्च 2021 के दौरान दिल्ली एम्स की अगुवाई में डब्ल्यूएचओ ने की थी। इसमें दावा किया गया कि अगर देश में कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो बच्चों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। दरअसल, शोध के लिए दिल्ली, भुवनेश्वर, गोरखपुर, पुडुचेरी और अगरतला में सीरो सर्वे कराया गया। इस दौरान शहरी इलाकों के 1000 लोगों में से 748 सीरो पॉजिटिव पाए गए। वहीं, ग्रामीण इलाकों में 3508 लोगों में से 2063 लोग सीरो पॉजिटिव मिले। इसका मतलब यह हुआ कि शहरी इलाकों में 74.7% लोगों में एंटीबॉडी बन चुकी हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 58.8 फीसदी मिला। इस शोध में दावा किया गया कि 18 साल से कम उम्र के लोगों में 55.7 फीसदी और 18 साल से ज्यादा उम्र वालों में 63.5 फीसदी का संक्रमण हो चुका है। ऐसे में तीसरी लहर के दौरान बच्चों पर खतरे की जो बात कही जा रही है, उम्मीद है वैसा नहीं होगा।



लैंसेट ने दी आपातकाल की चेतावनी


डब्ल्यूएचओ और एम्स के शोध ने लोगों को थोड़ी राहत दी थी, लेकिन लैंसेट ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान आपातकाल जैसी स्थिति बनने का खतरा बताया। ब्रिटिश साइंस जनरल लैंसेट पत्रिका ने दावा किया कि भारत जुलाई के बाद कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आ सकता है, जिससे स्वास्थ्य आपातकाल जैसे हालात बन सकते हैं। लैंसेट ने भारत सरकार को इस चुनौती से निपटने के लिए आठ सुझाव भी दिए, जिनमें स्वास्थ्य सेवा संगठनों के विकेंद्रीकरण से लेकर एंबुलेंस, ऑक्सीजन व जरूरी दवाओं की कीमतें तय करने की बात कही गई। इसके अलावा कोरोना टीकाकरण तेज करने की भी सलाह दी गई।


स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों से बढ़ा खौफ


इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर तमाम दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे खौफ एक बार फिर पसर गया। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वयस्क रोगियों के इलाज में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और फैविपिराविर जैसी दवाएं बच्चों के उपचार के लिए अनुशंसित नहीं हैं, क्योंकि बच्चों पर इन दवाओं का परीक्षण नहीं हुआ। इसका मतलब यह है कि अगर तीसरी लहर आती है और बच्चे उसकी चपेट से संक्रमित होते हैं तो उपयोगी दवाएं भी नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगले तीन-चार महीने में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई है। 



वायरस का म्यूटेशन भी बढ़ा रहा खतरा


 कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। कुछ दिन पहले इसका डेल्टा वैरिएंट चर्चा में था, जबकि अब डेल्टा प्लस वैरिएंट भी सामने आ गया है। गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना का डेल्टा वैरिएंट भारत समेत पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है, जो कोरोना के पिछले सभी स्वरूपों से ज्यादा संक्रामक है और अल्फा वैरिएंट के मुकाबले इसका ट्रांसमिशन 50 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नया डेल्टा प्लस वैरिएंट कोरोना वायरस के K417N म्यूटेशन से बना है। जांच में सामने आया है कि नया म्यूटेशन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का भी प्रतिरोध कर सकता है, जो बेहद खतरनाक है। 


कोरोना से बचने का सबसे बेहतर तरीका


सभी जानते हैं कि कोरोना से निपटने की कोई भी दवा इस वक्त पूरी दुनिया में नहीं है। हालांकि, इस वायरस से बचाव के लिए देश-दुनिया में कई वैक्सीन बनी हैं। ऐसे में टीका लगवाकर आप खुद को काफी हद तक सुरक्षित कर सकते हैं। इसके अलावा मास्क का नियमित इस्तेमाल करें और सामाजिक दूरी का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि कोरोना से जंग में ये दोनों ही अब तक सबसे वाजिब हथियार साबित हुए हैं। 




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