कोरोना में हवन और यज्ञ को भी बनाए हथियार -पंडित रविंद्र आचार्य

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

हम सब मिलकर ऑक्सीजन,बेड,इंजेक्शन और वेंटीलेटर दिलाएं !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

चौमूं (संस्कार न्यूज़) वर्तमान समय में हमारा वायुमंडल कोरोना संक्रमण नामक वायरस से दूषित हो चुका है | यह संक्रमित वायु हमारे श्वास  मार्ग द्वारा फेफड़ों में प्रवेश कर हमारे फेफड़ों को जकड़कर श्वसनक्रिया को बाधित कर रही है | हमें भयंकर कष्ट दे रही है और कभी-कभी तो यह प्राणघातक भी सिद्ध हो रही है | हमारे आयुर्वेद शास्त्र में हवन एवं यज्ञ द्वारा वायुमंडल को स्वच्छ करने का विधान बताया गया है | 

तारा ज्योतिष साधना केंद्र के अध्यक्ष पंडित रविंद्र आचार्य का कहना है कि हवन के माध्यम से जलाई हुई औषधियों का प्रभाव स्वास्थ्य द्वारा सीधे फेफड़ों में पहुंचता है और तत्काल प्रभाव दिखाई देने लगता है | अथर्ववेद अध्याय - 2 के सूत्र 31 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यज्ञ से कीटाणुओं का नाश होता है तथा वायुमंडल शुद्ध होता है | कर्मी नाशक औषधियों को जलाने से धुआं सक्षम होकर संक्रमण वाले कीटाणुओं को नष्ट करता है | हवन की धुआं हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है |

हवन सामग्री में गुग्ल, लोबान, चंदन ,नागर मोथा, सेंधा नमक, काली मिर्च, राई ,सरसों, नारियल, जटामासी, तिल सूखे हुए, आक के पत्ते, नीम के पत्ते, बीलगिरी, कर्पूर, लोंग,अगर- तगर इन सब को लेकर हवन सामग्री तैयार करें | यदि इनमें से कोई द्रव्य नहीं मिल पाए तो जो भी मिल सके उसका प्रयोग हवन के लिए कर सकते हैं | केवल सेंधा नमक को या नीम के पत्तों को भी हवन में जलाने से निकले हुए धुएं से भी वातावरण शुद्ध हो जाता है | वातावरण में उपस्थित रोग उत्पादक अनेकों विषाणु ,कीटाणु आदि नष्ट होने लगते हैं | इसके अलावा जायफल, जावित्री, बड़ी इलायची, दालचीनी, सूखा चंदन ,छबीला, नागर मोथा आदि औषधियों को हवन में जलाने से भी वातावरण शुद्ध होता है |


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

" संस्कार न्यूज़ " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |

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