ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का घर में इस्तेमाल करते समय क्या करें और क्या न करें?

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

हम सब मिलकर ऑक्सीजन,बेड,इंजेक्शन और वेंटीलेटर दिलाएं !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार न्यूज़) देश में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी की बात लगातार की जा रही है। कई लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। इस सब के बीच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कमी भी चर्चा है। हाल ही में पीएम केयर्स फंड से भी एक लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने का ऐलान किया गया, लेकिन ये ऑक्सीजन कंसंट्रेटर होते क्या हैं? और  कैसे काम करते हैं? आप खरीदने जा रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखें? आईए जानते हैं हम ... 

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर होता क्या है?

ये एक ऐसी मेडिकल डिवाइस है, जो हमारे आसपास मौजूद हवा को खींचती है। उसमें से ऑक्सीजन को अलग करके शुद्ध ऑक्सीजन सप्लाई करती है। इससे मरीज को एक्स्ट्रा ऑक्सीजन मिलती है। ये डिवाइस 10 लीटर प्रति मिनट के फ्लो रेट से लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई कर सकती है। आसान भाषा में कहें तो ये एक तरह की छलनी है जो हवा में से ऑक्सीजन को अलग करती है और मरीज को 95% तक शुद्ध ऑक्सीजन देती है।

कंसंट्रेटर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

भारी डिमांड के चलते आजकल कई फर्जी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी बाजार में बेचे जा रहे हैं। कुछ लोग ह्यूमिडफायर और नेबुलाइजर को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के नाम पर बेच रहे हैं। इसलिए जब भी आप इसे खरीदने जाएं तो प्रॉपर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ही खरीदें।

1. खरीदते समय आपको चेक करना होगा कि डिवाइस का ऑक्सीजन फ्लो रेट प्रति मिनट कितना है। जितना फ्लो रेट डिवाइस पर दिया गया है उतना हो, तब ही उसे खरीदें। इस वक्त बाजार में 5 लीटर और 10 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन फ्लो रेट के दो सबसे कॉमन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मिल रहे हैं। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉक्टर वीपी पांडेय कहते हैं कि जो भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आप खरीदें, उसकी गुणवत्ता जरूर जांच लें। जितनी कैपेसिटी का कंसंट्रेटर है, उसका ऑक्सीजन फ्लो उतना है या नहीं।

2. ऑक्सीजन की शुद्धता कितनी है ये भी चेक करके ही इसे खरीदें। ये 90% से कम नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर पांडेय कहते हैं कि खरीदने से पहले कंसंट्रेटर की इफेक्टिविटी जरूरी चेक कर लें। कई बार ऐसा होता है कि 5 लीटर का कंसंट्रेटर होता है, लेकिन उससे 3 या 3.5 लीटर प्रति मिनट ही ऑक्सीजन का फ्लो रेट रहता है। इसलिए अगर आप 5 लीटर वाला कंसंट्रेटर खरीद रहे हैं तो उससे 90 से 95% प्योरिटी के साथ 5 लीटर/मिनट के फ्लो रेट के साथ ऑक्सीजन आए।

3. मशीन खरीदते समय उसका सर्टिफिकेशन भी जरूर चेक करें और विश्वसनीय मैन्यूफैक्चरर से ही इसे खरीदें।

4. ऐसी डिवाइस ही खरीदें जिसमें एक ह्यूमिडफायर हो जो पानी की बोतल जैसा होता है। इसमें पानी डाला जाता है। इसके साथ ही इसमें एक नजल प्रोन लगा हो।

5. कंसंट्रेटर की क्षमता के मुताबिक बिजली की खपत भी अलग-अलग होती है। ऐसा कंसंट्रेटर चुनें जो कम बिजली में भी चल सके। फिलहाल मार्केट में ऐसे कंसंट्रेटर मौजूद हैं जो इनवर्टर या कार की बैटरी से भी चलाए जा सकते हैं।

कंसंट्रेटर का इस्तेमाल करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

1. डॉक्टर पांडेय कहते हैं कि ऑक्सीजन का फ्लो रेट सही हो, इसका ध्यान रखें। अलग-अलग मरीजों के लिए एक ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इससे इन्फेक्शन का खतरा रहता है। कुछ कंसंट्रेटर ऐसे होते हैं जिसमें एक से ज्यादा मरीजों को एक साथ ऑक्सीजन दी जा सकती है, लेकिन इसका इस्तेमाल भी न करें। इसमें भी क्रॉस इन्फेक्शन का खतरा रहता है।

2. जिस जगह पर मरीज है वहां हवा का फ्लो बना रहे, इसका भी ध्यान रखें। जैसे-एसी रूम में नेचुरल एयर फ्लो कई बार कम रहता है, ऐसे में कंसंट्रेटर की इफेक्टिविटी प्रभावित हो सकती है। समय-समय पर इसके फिल्टर को भी बदलते रहें।

3. कंसंट्रेटर में लगे ह्यूमिडफायर में पानी भरते समय ध्यान रखें कि जितना मैक्सिमम वाटर लेवल लिखा हो, वहीं तक पानी भरें। उससे ज्यादा नहीं। उन्हीं मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल करें जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 94 से 85 के बीच हो। उससे कम ऑक्सीजन सेचुरेशन होने पर ये ज्यादा फायदेमंद नहीं होते।

ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कितना अलग है?

ऑक्सीजन सिलेंडर में शुद्ध ऑक्सीजन की एक तय मात्रा भरी होती है। जिसे लगाते ही मरीज को उसकी जरूरत के मुताबिक शुद्ध ऑक्सीजन दी जा सकती है, लेकिन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर वातावरण में मौजूद हवा में से ऑक्सीजन को फिल्टर करके देता है।

इसे काम करने के लिए लगातार बिजली की सप्लाई चाहिए होती है। इसके अलावा ये सिलेंडर की तुलना में महंगा होता है। एक कंसंट्रेटर 22 हजार से लेकर 2.7 लाख रुपए तक का आता है। हालांकि, इसे एक बार खरीदने के बाद इसे 4-5 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। बस समय-समय पर इसके फिल्टर बदलते रहना है।

वहीं, अगर आपके पास सिलेंडर है तो एक सिलेंडर 18 से 20 हजार तक का आता है। बड़ा सिलेंडर 1200 से 1500 रुपए तक में रीफिल कराया जा सकता है। उसे बार-बार रीफिल कराना होता है। जबकि कंसंट्रेटर में रीफिलिंग का कोई झंझट नहीं होता।

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में 90 से 95% शुद्धता वाली ऑक्सीजन होती है वहीं, ऑक्सीजन सिलेंडर में 98% या इससे अधिक शुद्ध ऑक्सीजन होती है। कंसंट्रेटर से सिर्फ 10 लीटर/मिनट फ्लो के साथ ही ऑक्सीजन दी जा सकती है। इससे अधिक फ्लो रेट के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है।

देश में कौन सी कंपनियां बना रही हैं और कहां से आ रहा है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर?

देश में दो दर्जन से ज्यादा कंपनियां ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बना रही हैं। इनमें हेस्ली, सोरा, फिलिप्स, एक्वानॉक्स और डॉक्टर मॉर्पन जैसी कंपनियां शामिल हैं। इनमें से कई कंपनियां ऐसी हैं जो चीन या दूसरे देशों से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इम्पोर्ट करके देश में बेच रही हैं। चीन की चाइना चैंबर ऑफ कॉमर्स फॉर इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ प्रोडक्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों ने अकेले चीन से 60 हजार से ज्यादा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का ऑर्डर दिया है। ये आंकड़ा 5 मई तक का है। इनमें से 21 हजार से ज्यादा की डिलीवरी हो चुकी है।

इसके अलावा दुनियाभर की कई प्राइवेट कंपनियां और ग्रुप भी इसमें मदद कर रहे हैं। जैसे, यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम ने भारत को एक लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दान के जरिए देने का इंतजाम किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी इन्हें खरीदने में मदद देने की बात कही है। अमेजन इंडिया ने 1500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दूसरे मेडिकल उपकरण अस्पतालों को दान किए हैं।


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