जनमानस के लिए गहरी पैठ की बातें

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

हम सब मिलकर ऑक्सीजन,बेड,इंजेक्शन और वेंटीलेटर दिलाएं !

मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !

संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी 

सीकर (संस्कार न्यूज़) आप सभी प्रबुद्धजन इस बात से विदित है कि इस समय हमारा देश व राज्य कोविड-19 (कोरोना वायरस संक्रमण) के भंयकर दौर से गुजर रहा है। आप सभी के स्वास्थ्य एवं भावनाओं को लेकर राज्य सरकार व प्रशासन के सभी कार्मिक कंधे से कंधा जोड़ आपके साथ खड़े है।

अपने क्षेत्र में जो कोरोना संक्रमितों की संख्या तथा मृत्यु दर बढ़ रही है, इस पर सम्पूर्ण मानव समाज के साथ प्रशासन से जुड़ी हर कड़ी कर्मचारी व अधिकारी वर्ग भी गंभीर चिंतित है।

 समय रहते इस पर हम सभी को सक्त नियम पालना व निर्णय लेने की विशेष आवश्यकता है। नहीं तो हालात बद से बदतर अर्थात और भी गंभीर हो सकते है। ऐसे दौर में आमजन को चाहिए कि कोविड प्रोटोकॉल के नियमों तथा समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों की पूरी-पूरी पालना करें।

इस गुजरते समय में आपकी समझदारी व दृढतापूर्वक लिया गया निर्णय ही इस संकट की घड़ी में सहयोग सिद्ध होगा।

बड़े दौर गुजरे है जिंदगी के,

यह दौर भी गुजर जायेगा।

थाम लो अपने पांव को घरों में,

यह मंजर भी थम जायेगा।

कृपया ध्यान देवें इस समय हमारे समाज में आस पड़ोस में जो भी प्राकृतिक/सामान्य मौतें हो रही है,उनके परिजनों द्वारा दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए/ गमगीन परिवार को संबल (सहारा) प्रदान करने के लिए दस बारह रोज तक निजी आवास पर बड़ी-बड़ी शोक सभा/बैठकों का आयोजन रखा जाता है जो इस समय किसी भी दृष्टि से  जनमानस के लिए खतरे से खाली नहीं है। इन सभी बातों पर हम सभी को उचित अनुचित का ख्याल रखते हुए गहन चिंतन मनन करने की आवश्यकता है।

वैसे सामान्य दौर में ऐसा सब कुछ करना सभी परिवार जनों, रिशतेदारों एवं परिचितों द्वारा अपने-अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार करना परम कर्त्तव्य व उचित भी है। किन्तु इस समय मानव जाति जिस महामारी काल/विभीषिका त्रासदी पूर्ण काल से गुजर रही है तो ऐसे वक्त में लंबे समय तक सघन बैठकों का आयोजन रखना हमारे समाज के लिए अत्यंत ही सोचनीय/चिंतनीय भी है।

अतः इस दौर में समय की नज़ाकत स्थिति का अंकन करते हुए, हम सभी का परम कर्त्तव्य यह बनता है कि शोकसभाओं में बैठक उपस्थिति न्यूनतम/सीमित संख्या में रखे तथा अपने श्रेष्ठ स्नेहीजनों तक व्हाट्सएप, फेसबुक, मैसेंजर,प्रिंट मिडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मिडिया इत्यादि के माध्यम से यह मैसेज प्रसारित करें कि सभी चिर परिचित रिश्तेदार संबंधी अपने निज आवास से ही दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अपने ईष्ट से प्रार्थना कर सकते हैं। जो सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए सार्थक सिद्ध होगी।

- महेन्द्र सिंह कटारिया, शिक्षक, सीकर, राजस्थान


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