केन्द्रीय कृषि बिल किसान विरोधी - कृषि मंत्री

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !



मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !


संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी / गोविंद सैनी


जयपुर (संस्कार न्यूज़ ) कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने विधानसभा में कहा कि भारत सरकार द्वारा लाये गये तीनों कृषि बिल किसान विरोधी है और किसान परिवारों के हितों पर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति किसान परिवार से जुड़ा हुआ है। इन बिलों से आने वाले समय में किसान मजदूर बनकर रह जायेगा। बड़ी-बड़ी कंपनियां अनुबंध के आधार पर किसानों की जमीन लेकर मनमाने तरीके से खेती करवायेगी और किसानों की फसलों का कंपनियां जैसा चाहेगी वैसा बाजार भाव तय करेगी।




कटारिया सदन में किसानों के हिताें को ध्यान में रखकर लाये गये विधेयक ‘‘‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक,2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा कर पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक,2020 तथा आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन ) विधेयक, 2020‘‘  पर हुई चर्चा के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा इन पर विचार किये बिना ही यह कानून लाये गये हैं । उन्हाेंने कहा कि इनसे कृषि उपज मंडिया खत्म हो जाएगी, देश-प्रदेश में लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे, मंडियों में स्थित बैंकों की शाखायें बंद हो जाएगी और कई व्यापारी बरबाद हो जाएंगे। कृषि मंत्री ने बताया कि इन कृषि बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का क्या होगा इसका भी इन बिलों में कोई उल्लेख नहीं है। 


 

कृषि मंत्री ने कहा कि बिल को लाने से पहले भारत सरकार द्वारा न तो देश की राज्य सरकारों से, न सामाजिक संगठनों से, न किसान संगठनों से और न ही व्यापारी संगठनों से कोई चर्चा की गई। कोरोना काल का फायदा उठाकर केन्द्र सरकार आनन-फानन में किसान विरोधी बिल लेकर आई है और किसान ठगा सा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में जिस तरह से जीडीपी और विकास दर में कमी आई है, उसको देश के किसान ने संभाला है और देश और प्रदेश को ताकत दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में विकास की गति को किसान आगे बढ़ा रहा है। कोरोना काल में लोग शहरों से पलायन कर वर्तमान में खेती कर रहे है और आज लोगों का खेती के प्रति रूझान बढ़ा है। 

 

कटारिया ने कहा कि खेती के साथ ही पशुधन जुड़ा हुआ है। सभी प्रदेशों में सहकारिता के माध्यम से किसान खेती के साथ में पशुधन पालता है और दूध को डेयरी बूथ पर देता है। इन बिलों में किसानों के साथ में पशुधन का क्या होगा, इनका कोई जिक्र नहीं है। भारत सरकार द्वारा लाये गये कृषि बिलों में भंडारण की भी कोई व्यवस्था नहीं है, भंडारण करने वाली कंपनी एफसीआई का क्या होगा, इसका कोई भी खुलासा नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये इन बिलों के विरोध में अनेक राज्याें की सरकारें और किसान संगठन सड़काें पर उतरे हुये हैं और आंदोलनरत है। भारत सरकार की ओर से इसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने पीड़ा जताई कि इन बिलों का आने वाले समय में विपरीत प्रभाव पड़ेगा और किसान कमजोर होगा। किसान की मौत पर राज्य सरकार द्वारा मार्केंटिंग बोर्ड के माध्यम से 2 लाख रुपये व  अंग भंग होने की स्थिति में 5 से 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता किसानों को दी जाती है, लेकिन अब इसका केन्द्र के  कृषि बिलों में कोई लेखा-जोखा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बिल  किसान को कमजोर करने वाला है और यदि किसान कमजोर होगा तो निश्चित रूप से आने वाला समय और भी कठिन होगा।

 

कृषि मंत्री ने प्रतिपक्ष के सदस्यों से आग्रह किया कि वे भारत सरकार से इन कानूनों पर पुनर्विचार करने के लिए कहे और इन्हें वापस लेने के लिए दबाव बनाये। उन्होंने सभी प्रतिपक्ष के सदस्यों से अपील की कि वे किसानों के हित में राज्य सरकार द्वारा लाये गये कृषि बिलों का समर्थन कर किसानों को बचाने का काम करें। 


 

हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |


" संस्कार न्यूज़ " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |



विडियो देखने के लिए -https://www.youtube.com/channel/UCDNuBdPbTqYEOA-jHQPqY0Q 



अपने आसपास की खबरों , लेखों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 9214996258, 7014468512.







Post a Comment

0 Comments