बालिग लड़का-लड़की को शादी करने के लिए मिले हैं ये कुछ खास अधिकार

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संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार न्यूज़ ) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो पूरी जिंदगी अकेले गुजारने में सक्षम नहीं होता है। जिस तरह हमें जीने के लिए समाज की जरूरत होती है, उसी तरह पूरी जिंदगी गुजारने के लिए एक जीवनसाथी की जरूरत पड़ती है ताकि हम उसका साथ पाकर अपने जीवन में आने वाली हर बाधाओं और समस्याओं से पार पा सकें। भारत जैसे देश में शादी को एक पवित्र और अटूट गठबंधन की तरह देखा जाता है। कई बार लड़के और लड़की के बालिग होने के बावजूद शादी के बीच जातिगत या धर्म संबंधी विवाद भी देखने को मिलते हैं, जिनसे उनकी शादी नहीं हो पाती है या शादी के पहले और बाद में उन्हें कई तरह की सामाजिक अड़चनों का सामना करना पड़ता है।



देश में एक बालिग लड़का-लड़की को शादी करने को लेकर कई अधिकार भी दिए गए हैं -

देश में शादी के लिए कई कानून बनाए गए हैं। हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954, फॉरेन मैरिज एक्ट और इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट के अलावा भी कई कानून हैं। लड़का और लड़की इन कानूनों के तहत मर्जी से शादी कर सकते हैं।

हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत शादी हिंदू रीति-रिवाज से होनी चाहिए। इसके तहत हिंदू लड़का और लड़की जो प्रोहिबिटेड रिलेशन (नजदीकी रिश्तेदार) और स्पिंडा रिलेशन (पिता की 5 पीढ़ी और मां की 3 पीढ़ी में होना) में न हों, शादी कर सकते हैं।

स्पेशल मैरिज ऐक्ट 1954 के तहत दो अलग-अलग धर्म के लोग बिना धर्म बदले शादी कर सकते हैं। जब लड़का और लड़की बालिग हों और शादी करने की पात्रता रखते हों तो वे अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ इस एक्ट के तहत शादी कर सकते हैं। लड़के की उम्र 21 से ज्यादा और लड़की की उम्र 18 से ऊपर होनी चाहिए।

चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी नहीं हो सकती। अगर यह शादी होती है तो वह अमान्य होगी। चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि अगर कोई ऐसी शादी करता है या फिर करवाता है या इससे लिए उकसाता है और दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल तक कैद की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशंस के बारे में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ऐसे रिश्ते निभा रही युवतियां कुछ मापदंडों को पूरा करने की स्थिति में ही गुजारा भत्ते की हकदार हो सकती हैं। ऐसी युवतियों को चार शर्तें पूरी करनी होंगी।

1. युवक-युवती को समाज के सामने खुद को पति-पत्नी की तरह पेश करना होगा। 2. दोनों की उम्र कानून के अनुसार शादी के लायक हो। 3.दोनों शादी करने योग्य हों जिनमें अविवाहित होना शामिल है। 4. वे अपनी मर्जी से साथ रह रहे हों और दुनिया के सामने लंबे समय तक खुद को जीवन साथी के रूप में दिखाएं।

अन्य अधिकार - 

1. बालिग लड़का-लड़की जिनकी मानसिक स्थिति ठीक हो, उनको शादी करने के लिए किसी की इजाजत की दरकार नहीं है। 2. बालिग लड़का-लड़की को शादी करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत मिला है। इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता। 3. अधिकारों के मुताबिक एक बालिग लड़का-लड़की अगर शादी करना चाहते हैं तो उनकी शादी में जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा जैसी चीजें बाधा नहीं बन सकती। 4. अगर बालिग लड़का-लड़की की शादी में कोई अड़चन पैदा करता है या उन्हें रोकता है तो लड़का-लड़की संविधान के अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा सकते हैं। 5. वहीं लड़का-लड़की की शादी हो जाने के बाद अगर उन्हें अपने ही परिजनों से जान का खतरा है तो नवदंपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं।

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