इस ज़मी की भी हवस है आसमां की फ़िक्र भी





जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !


मास्क लगाकर रहें ! सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें !



संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी / गोविंद सैनी 



  हाँसी / हरियाणा  @ (संस्कार न्यूज़ )


 


                   ग़ज़ल


ज़िंदगी गुज़री हो जिसकी हादिसों के दर्मियाँ
किस तरह हो जाए बेक़ल मुश्किलों के दर्मियाँ


इस ज़मी की भी हवस है आसमां की फ़िक्र भी
ज़हन ओ दिल सबके हैं उलझे दो सिरों के दर्मियाँ


प्यार की जंज़ीर से बाँधा है तुमने जाँ को यूँ
बूँद कोई हो बंधी ज्यों सीपियों के दर्मियाँ


ख़ुदकुशी कर के पीछा छूटता है केस से
फँस गया मज़लूम जब भी साज़िशों के दर्मियाँ



लेखक :- बलजीत सिंह बेनाम

पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी


हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं | पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |



" संस्कार न्यूज़ " कोरोना योद्धाओं को दिल से धन्यवाद देता है |


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