माँ की याद - रवि तिलवाडिया

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संस्कार न्यूज़ @ राम गोपाल सैनी / गोविंद सैनी


कालवाड @ (संस्कार न्यूज़ )




         ।।माँ की याद ।।


माँ... तुम कहाँ  हो।
कैसी हो,क्या करती हो।।


आपकी बहुत याद आती है,
मुझे पल-पल रुला जाती है।
तू ही तो थी मेरा सहारा,
मुझे क्यों कर गई बेसहारा।।


सुबह से शाम तक याद आती हो,
पल-पल में क्यों याद आती हो।
आपके बगैर मेरी दुनिया सूनी है,
मन मे एक आस आपकी है।।


क्यों...क्यों छोड़ा मुझे तुम बीच राह में,
में किसके सहारे जीऊँगी ,दुनिया में ।
माँ... एक बार मिलना चाहती हूँ,
आपके सीने से लगना चाहती हूँ।।


हर त्योहार पर याद आती हो,
सब कुछ होते हुए भी याद आती हो।
आपके बगैर मेरा आंगन सूना है,


मेरे जीवन का हर पल सूना है।।


माँ... तुम कहाँ हो।
केसी हो,क्या करती हो।।


माँ...तुम सिर्फ एक बार मिलो तो सही,
आपकी लाडली आपको बार-बार याद कर रही।
आप होती तो में आपसे बातें करती,
में शरारत करती तो, आप मुझे डाटा करती।।


माँ... माँ... ,
क्यों  रुलाती हो ।
दिखावट की मुस्कुराहट मेरी,आपके बगेर,
बिस्तर में भी रो लिया करती हूं,अक्सर आपके बगेर।।


सही गलत का अंदाज नही है, माँ मुझे,
सारी दुनिया झूठी लगती है, माँ मुझे।
मेरी आँखों मे जो अश्को की धार है,
उसमे आपका मेरे प्रति प्यार है।।


माँ... माँ... ,
आ जाओ न क्यो रुलाती हो।
तुम्हारी लाडली तुझे बुलाती हैं,
सारी रात मुझे क्यो रुलाती हैं।।


माँ... माँ... तुम कहाँ हो।
केसी हो,क्या करती हो।।


माँ... माँ... माँ...


                              ----रवि तिलवाडिया 


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