पर्यावरण संरक्षण के बिना मानवाधिकारों की रक्षा असंभव - प्रो. पारीक

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

जयपुर (संस्कार सृजन) राजस्थान स्टेट मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित विंटर इंटर्नशिप प्रोग्राम-2025 के अंतर्गत दिनांक 1 से 19 दिसंबर 2025 तक राजस्थान सचिवालय, जयपुर में राज्य के विभिन्न विधि महाविद्यालयों से चयनित छात्र-छात्राओं के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम के अंतर्गत एपीजे अब्दुल कलाम राजकीय कन्या महाविद्यालय, गंगापोल, जयपुर के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) हेमंत पारीक ने “मानवाधिकार और पर्यावरण का पारस्परिक संबंध” विषय पर व्याख्यान दिया।

सत्र के प्रारंभ में डॉ. संध्या यादव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रो. पारीक का हार्दिक स्वागत किया तथा उन्हें स्मृति स्वरूप पौधे का उपहार भेंट किया।

अपने व्याख्यान में प्रो. पारीक ने बताया कि पर्यावरण और मानवाधिकार एक-दूसरे के अविभाज्य अंग हैं तथा स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल, सुरक्षित प्राकृतिक संसाधन और जलवायु संतुलन को “जीवन के अधिकार” का मूल आधार माना गया है। 

उन्होंने पर्यावरणीय क्षरण—जैसे प्रदूषण, अनियंत्रित खनन, जलवायु परिवर्तन और औद्योगिक अपशिष्ट—के मानव जीवन, स्वास्थ्य, आजीविका और सुरक्षित भविष्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की ओर विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों—M.C. Mehta, Subhash Kumar, Vellore Citizens Forum तथा Public Trust Doctrine—का उल्लेख करते हुए बताया कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

व्याख्यान में 2025 के अरावली निर्णय पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें 100 मीटर ऊँचाई आधारित परिभाषा के कारण अरावली क्षेत्र के संरक्षण पर संभावित खतरे और उसके राजस्थान के जलसंचयन, भूजल पुनर्भरण, जैव-विविधता तथा मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रेखांकित किया गया।

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों—जैसे जैसलमेर-बाड़मेर में जल संकट, जयपुर-अलवर-भरतपुर-राजसमंद में खननजनित रोग, तथा भिवाड़ी-पाली-जोधपुर में औद्योगिक प्रदूषण—के उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने बताया कि पर्यावरणीय संकट सबसे अधिक कमजोर वर्गों, विशेषकर महिलाओं, बच्चों, मजदूरों और ग्रामीण समुदायों को प्रभावित करता है।

सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछे और चर्चा में भाग लिया। प्रो. पारीक ने युवाओं की भूमिका पर बल देते हुए जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त परिसर, अरावली संरक्षण, पौधारोपण तथा सतत जीवनशैली अपनाने जैसे उपायों पर प्रेरित किया। अंत में उन्होंने कहा—“पर्यावरण की रक्षा करना ही मानवाधिकारों की रक्षा करना है; अरावली सुरक्षित होगी तो राजस्थान सुरक्षित रहेगा।”

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