राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण दिवस पर विशेष आलेख

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

उत्तराखंड (संस्कार सृजन) कल 19 नवम्बर को राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1986 मे भारतीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ था। यह अधिनियम भोपाल गैस त्रासद की प्रतिक्रिया में मनाया गया था। जिसका उददेश्य पर्यावरण की रक्षा करना और सुधार करना था। कानून-विधि 19 नवम्बर 1986 पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 प्रभावी हुआ जो भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए बनाया गया |

इस कानून का उददेश्य मानक पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्माणो को लागू कर मानक जीवन अन्य जीवित प्राणियो, पौधों और संम्पति के लिए खतरों को रोकना शामिल है। 

व्यापक ढांचा :- यह अधिनियम जल और वायु अधिनियम जैसे अन्य पर्यावरण सम्बन्धी कानूनों के तहत विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य प्राधिकरण की गतिविधियो के समबन्ध को भी अनुमति देता है।

चार अध्यय, 26 धाराएँ जो भविष्य में होने वाले नकुसान से बचाने के लिए कानून बनाया गया।

उददेश्य - पर्यावरण संरक्षण जागरूकता हेतु प्रोत्साहित करना

इतिहास - संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1974 से शुरू किया ।

पर्यावरण संरक्षण हमारे आस-पास के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए | पेड लगाना, प्लास्टिक के उपयोग का कम करना, कूडा कचरा सही जगह डालना है |

राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण का अर्थ -

1. प्रदूषण नियन्त्रण,

2. पारिस्थितिक सन्तुलन बनाए,

3. मानव गतिविधि कानूनी एवं नीति

वाट्सन के अनुसार वातावरण के द्वारा बालक को जैसा चाहे वैसा बना सकते है, जबकि वशांनुक्रम में ऐसा सम्भव नही है। एजूकेशन द्वारा पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा सकता है। कुछ वातावरण से ही शिक्षा को गति और गुणवता का विकास होता है। पर्यावरण में वातावरण की गुणवता को स्थान दिया जाता है।

पर्यावरण उस सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश को कहते हैं जिसमें हम रहते हैं और जो हमें जीवन जीने के लिए आवश्यक 'संसाधन' प्रदान करता है। इसमें हवा, पानी, मिटटी, पौधे, पशु, मनुष्य, सूर्य का प्रकाश और अन्य जैविक एवं अजैविक घटक शामिल होते हैं | पर्यावण वह समग्र प्राकृतिक परिवेश है जिसमें जीव- जन्तु, पौधे, मानव और अन्य सभी जीवधारी रहते हैं और उनके जीवन को प्रभावित करते हैं ।

मुख्य पहलू संरक्षण नियन्त्रण :-

1. जैवविविधता, 3, प्राकृतिक संसाधानों का संरक्षण, 4 पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली,

5. जागरूकता 6. अन्य जीव संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम को भारत की सांसद ने 23 मई 1986 को पारित किया | 19 नवम्बर 1986 को लागू हुआ | इस अधिनियम मे चार अध्यय और 26 धाराए हैं | इसका मुख्य उददेश्य संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भारत के कानून के रूप में लागू किया गया | इन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान और दण्ड निर्धारित किए गए हैं ।

लेखक : डॉ. अशोक पाल सिंह (शिक्षक, पर्यावरण मित्र) राजकीय उ.मा.वि.बिझौली, जनपद हरिद्वार, उत्तराखण्ड

किसी भी कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए संपर्क करें - 9214996258,7014468512,9587061004.

सब्सक्रिप्शन बेचें

बहुत जरूरी सूचना :- 

1. रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !

2. खुले कुओं और नलकूप को जल्द से जल्द बंद करवाएं !

हमसे जुड़े :-

Facebook :- https://www.facebook.com/RamGopalSainiofficial

Tweeter :- https://twitter.com/RamgGopal

Instagram :- https://www.instagram.com/ram_gopalsaini/

Youtube :- https://www.youtube.com/channel/UCDNuBdPbTqYEOA-jHQPqY0Q



1. हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदो की सेवा कर सकते हैं | 

2. पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

3. जीवन में आप इस धरती पर अपने नाम का एक पेड़ जरूर लगाएँ |

4. बेजुबानों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था जरूर करें !

विडियो देखने के लिए -https://www.youtube.com/channel/UCDNuBdPbTqYEOA-jHQPqY0Q 

अपने आसपास की खबरों , लेखों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 9214996258, 7014468512,9929701157.

सब्सक्रिप्शन बेचें

ज़्यादा जानें
धर्म चर्चा
टेक्नोलॉजी अपडेट
वेब सीरीज़ सब्सक्रिप्शन
स्वास्थ्य टिप्स
टेक्नोलॉजी गैजेट्स
मौसम अपडेट
क्रिकेट उपकरण
समाचार सदस्यता
विज्ञापन सेवाएँ
हास्य पुस्तक

इमरजेंसी नंबर :- पुलिस कंट्रोल रूम- 100, चौमूं थाना - 01423-221009, डीसीपी पूर्व- 0141-2203400, एसीपी चौमूं -01423-221456, गोविंदगढ़ थाना-01423-230023, डीएसपी गोविंदगढ़-01423-230905, जयपुर ग्रामीण एसपी-0141-2206869, एंबुलेंस-108, सीएचसी चौमूं -01423-221424, सीएचसी गोविंदगढ़ - 01423-230077, सीएचसी सामोद-01423-240105, बिजली हेल्पलाइन-6376917467, एक्स ईएन चौमूं-01423-220069

Post a Comment

0 Comments