बुनियादी शिक्षा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : अशोक पाल सिंह

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

उत्तराखंड (संस्कार सृजन) शिक्षा का स्वरूप समय और आवश्यकता के अनुसार बदलता रहता है | शिक्षा प्रणाली से  भारतीय समाज को केवल नौकरी के लिए तैयार करना था, तब महात्मा गाँधी ने स्वदेशी और मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर विचार प्रस्तुत किया। बुनियादी शिक्षा का आधार भारीतय संस्कृति, सुख और समृद्ध बनने की शिक्षा है। इस शिक्षा का उददेश्य मनुष्य को आत्म निर्भर बनाना है का साथ ही समाज एवं राष्ट्रीय सहयोग की भावना उत्पन्न करनी थी। ताकि आत्मनिर्भर बन सके | बुनियादी शिक्षा का आधार भारतीय संस्कृति भारतीय परम्परा ज्ञान है, जो प्रत्येक बच्चे को मिलनी चाहिए।

बुनियादी शिक्षा : -

बेसिक शिक्षा, नई तालिम एवं वर्धा शिक्षा इत्यादि के नाम से जाना जाता है। सन 1937 में 22-23 अक्टूबर को भारत मे गांधी द्वारा महत्वपूर्ण शिक्षा सम्मेलन का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ भारतीय भाषा मे कार्यावाही हुई। जिसका उददेश्य विद्यार्थी का समग्र विकास-बालक को व्यावहारिक एव आत्मनिर्भर बनाना। सन् 1886 के सतत् सफल प्रयास अनुभव से देश की जरूरतों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सन् 1937 में बुनायादी शिक्षा, नई तालीम के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। बुनियादी शिक्षा का मुख्य उददेश्य वर्धा शिक्षा एवं शैक्षिक सुधार जो भारतीय इतिहास में सवाधिक लोकप्रिय सुधारों में से एक है। गाँधी जी ने ब्रिटिश शिक्षा को मानसिक गुलामी की दृष्टि के रूप में देखा था। सन् 1937 में नई तालिम गाँधी के सतत चिन्तन का साधन है। 

बुनियादी शिक्षा पद्धति, विधि का प्रमुख उददेश्य-विधार्थी के जीवन में जीविकापार्जन योग्य बनाना शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक गुणो के सामाजस्य से उसके पूर्ण व्यकितत्व का विकास करना है। अपनी संस्कृति क्षमता का विकास मातृभाषा पर आधारित शिक्षा जीवन से सम्बन्धित हस्त कौशलम् स्वयं का कौशल विकास होना आवश्यक है। नई शिक्षा नीति 2020 को भारत सरकार मानव संसाधन मन्त्रालय द्वारा गांधी जी के शैक्षिक विचारों एवं चिन्तन का स्मरण किया गया। गांधी का सिद्धान्त-सम्पूर्ण व्यकितत्व का विकास करती है शिक्षा | गांधी जी की रूचि के साथ स्वतंत्रत रूप से सीखने का समर्थन करते हुए नई शिक्षा नीति बालक को तनाव मुक्त शिक्षा देने का समर्थन करती है।

वर्ष 2024-25 से नई शिक्षा नीति नई 2020 को सम्पूर्ण भारत में लागू किया गया | वर्ष 2040 तक समग्र सामवेश शिक्षा द्वारा सभी बालक-बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने का लक्ष्य निर्धारित किया गया | भय मुक्त शिक्षा एवं आनंदम शिक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गांधी जी के बुनियादी शिक्षा दर्शन को ध्यान में रखते हुए शिक्षा ज्ञान के माध्यम से शरीर मन और आत्मा की सम्पूर्ण शिक्षा प्रदान की जाने वाली नई तालिम या बुनियादी शिक्षा एक सिद्धान्त है। बुनियादी शिक्षा नई शिक्षा नीति जो भारत में सन् 2020 में 29 जुलाई को लागू हुई। सौ साल पूर्व बुनियादी शिक्षा का प्रयास किया गया था। आत्म निर्भर भारत का सपना देखा था सर्व प्रथम व्यक्ति के चरित्र, शिक्षा मूलताः अर्थ प्रत्येक व्यक्ति का ज्ञान कौशलम् विकास सृजन एव गुणात्क स्तर पर होना चाहिए | सात वर्ष से 14 वर्ष की आयु तक निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा होनी चाहिए। बच्चो में आत्मविश्वास पैदा कर सके। 

सन् 2020 को नई शिक्षा भारत सरकार द्वारा घोषित किया गया। गांधी जी के विचारो की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। जिसमें बाल केन्द्रित शिक्षा, मातृभाषा कला शिक्षा, नवचार, समग्र विकास, मूल्य आधारित शिक्षा का विचार प्रस्तुत किया गया जिसे उन्होंने बुनियादी शिक्षा कहा | गांधी जी के अनुसार शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करना नही बल्कि चरित्र निर्माण आत्म निर्भरता और समाज सेवा होनी चाहिए। गांधीजी ने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो शरीर, मन और आत्मा तीनों का समावेश विकास कर सके। 'वसुधैवकुटुम्बकम एवं सर्वे भवन्तु सुखिन: जैसे सिद्धान्तो को नीति में लागू किया गया।

लेखक : डॉ. अशोक पाल सिंह, शिक्षक रा. उ.मा.वि., बिझौली रूडकी, जिला हरिद्वार (उत्तराखण्ड)

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