राधास्वामी सत्संग सहजो में हुआ विशाल सत्संग एवं भंडारे का आयोजन

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी 

चौमूं / जयपुर (संस्कार सृजन) राधास्वामी सत्संग सहजो चौमूं डेरा बाबा मेघादास महाराज की तपोभूमि पर राजस्थान प्रदेश के जयपुर जिले में चौमूं कस्बे के पास राधास्वामी बाग स्थित डेरे के संस्थापक जिन्होंने इस क्षेत्र में राधास्वामी नाम की अलख जगाने वाले बाबा मेघा दास महाराज की 75 वीं पुण्यतिथि पर संत सेवादास महाराज ने अपने प्रवचनों में बताया की महाराज श्री का मूल गांव अचरोल था | 15 -20 साल की अवस्था में ही सांसारिकता से विमुख होकर, वैराग्य की और मुड़ गए थे | उस समय आसपास एवं दूर दराज जहां भी सत्संग होता था वहां पहुंच जाते थे, परंतु उनको आध्यात्मिक संतुष्टि नहीं मिल पाई |

सत्संग के दौरान महात्माओं से सूरत शब्द योग की चर्चा करते थे परंतु इससे उनकी जिज्ञासा शांत नहीं हुई धीरे-धीरे पूर्ण गुरु की खोज में एक दिन अपने माता-पिता को बिना बताए ही निकल गए | उनका कोई एक परिचित साथी था दिल्ली रेल द्वारा निकल गए | वहां रहने वाले संबंधी के पास ठहरे | दूसरे दिन जब नित्य कर्मों से निवृत होकर जब सत्संग की चर्चा कर रहे थे तो उन्होंने बताया कि यहां आस-पास आसपास सत्संग होता है | उनके साथ मिलकर दया बस्ती क्षेत्र में बाबा गरीबदास महाराज के आश्रम पर राधास्वामी नाम की चर्चा एवं सत्संग होता था | उस समय राम बिहारीदास  महाराज के सानिध्य में सत्संग प्रवचन होने के बाद उनसे आध्यात्मिक गहन चर्चा हुई और जो सूरत शब्द योग के बारे में जो जिज्ञासा थी वह पूर्ण तया शांत हो गई मन में किसी तरह का राग द्वेष नहीं रहा | पूर्ण गुरु का सानिध्य पाकर धन्य हुए |

संत महात्मा की दया मेहरबानी से इस जीव को नाम दान की प्राप्ति हुई और उन्होंने आदेश दिया कि कि इस संसार में अज्ञानता रूपी अंधकार छाया हुआ है उसे जहां आपको उचित लगे वहां पर सूरत शब्द योग के माध्यम से राधास्वामी नाम की अलख जगाई | आज की लगभग 90-95 वर्ष पूर्व उन्होंने जयपुर जिले के चौमूं कस्बे के पास राधास्वामी बाग स्थित एक निर्जन स्थान पर अपना डेरा बनाया |जो एक दल्ला भूत के नाम से जाना जाता था | उन्होंने तय कर लिया कि यह स्थान सबसे उपयुक्त है | मालिक की दया मेहर भी बहुत बरसेगी | धीरे-धीरे आपके विचारों एवं सत्संग प्रकाश बढ़ता गया | दुनिया के इस अज्ञानता में छाए हुए अंधेरे के अंधविश्वास से लोग बहुत परेशान थे | जैसे-जैसे आपका सानिध्य मिला | लोगों में एक नया उत्साह है एवं विश्वास बढ़ने लगा | यहां रहने वाले लोगों की स्थानीय भाषा में सत्संग प्रवचन शुरू किया और इस प्रकार जीवों की मूल भावना को समझकर सत्संग के माध्यम से राधास्वामी नाम का प्रचार प्रसार दिन दूना दोनों रात चौगुना बढ़ता गया | उन्होंने बताया कि सहजो मन तो एक है भावे ताहि लगाय, या तो गुरु की भक्ति कर, भावें विषय कमाय | जिस प्रकार दिन में सूर्य के प्रकाश के आगे छोटा सा प्रतीत होता है दीपक रात होते ही अपने क्षेत्र को उजाले से भर देता है अर्थात अपनी क्षमता के अनुसार अपने आसपास छाए हुए अंधकार को दूर कर देता है |

इसी कड़ी में राधास्वामी नाम की अलख जगाने वाले इस डेरे का प्रकाश भी आज राजस्थान प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश दुनिआ में भी छाया हुआ है | हमें इस संसार में इस प्रकार रहना चाहिए, सहजो जग में यूं रहो ज्यों जिव्हा मुख माहि, घी  घणो भक्षण करें फिर भी चिकनी नाहि | हमें इस संसार में संत महात्माओं ने एक मिसाल दी है उसके अनुसार रहना चाहिए जैसी आप जीभ को कितना भी घी खिलाओ लेकिन फिर भी वह चिकनी नहीं रहती | जैसे हम बर्तन को साफ  रखते हैं  उसमें डाली हुई चीज भी सुरक्षित मिलती है | संत महात्माओं के सत्संग में जाने से निर्मलता आती है और इस लौकिक युग की सत्यता का भी पता चलता है धीरे-धीरे वास्तविकता का संत महात्माओं के सानिध्य में रहकर मुड़ता है | और जब जीव निर्मल हो जाता है तो उसे संत महात्माओं की दया मैहर से नामदान की बख्शीश होती है और गुरु के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर भजन, सुमरिन, ध्यान द्वारा आध्यात्मिक लोको की यात्रा के आनंद की अनुभूति से आत्मा को उसकी खुराक समय समय पर मिलती रहने से वह पुष्ट होता रहता है |

बड़े भाग मानुष तन पावा, कोटी जन्म जब भटका खावा | हमें मनुष्य जन्म बड़े ही भाग्य से मिलता है लाखों जोनिया के बाद हमें यह शुभ अवसर मिलता है | अतः इस अवसर को हमें यूं ही बेकार की बातों में या अन्य किसी गलत संगति में खर्च कर बेकार नहीं करना चाहिए | लौकिक युग में छाई हुई अंधकार के काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या के तापों से जलता रहता है | इनसे छुटकारा तब ही मिल पाता है जब वह संत महात्माओं की शरण एवं सत्संग का संग साथ करता है जिससे इन दुर्गुणों का प्रभाव सील क्षमा, संतोष, दया और प्रेम में बदलता है | इससे हम लोक एवं परलोक दोनों सुधार सकते हैं | आपके ज्योति ज्योत समाने के बाद  डेरे की विरासत सहजो बाई महाराज ने भी राधास्वामी नाम के प्रचार प्रसार में संपूर्ण जीवन इसमें लगा दिया |

राधास्वामी कोऑर्डिनेटर गुरु चरण सैनी ने बताया कि उसके बाद  संत सेवादास महाराज इस आध्यात्मिक विरासत को आगे से आगे बढ़कर जीवों सत्संग के माध्यम से लाभान्वित कर रहे हैं | इस डेरे की मुख्य विशेषता यह है, दरबार में मेरे सतगुरु के दुख दर्द मिटाए जाते हैं, दुनिया के सताए लोग यहां सीने से लगाए जाते हैं | आज के इस विशाल सत्संग एवं भंडारे में श्रद्धालुओं ने पंगत प्रसादी की | 

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