प्रथम यूथ सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस-2025 का हुआ आयोजन

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) जहाँ एक ओर भारतीय उद्योगों ने व्यावसायिक उत्पादन और स्थिरता के बीच संतुलन बनाने में सराहनीय कार्य किया है, वहीं युवाओं में नवाचार, रचनात्मकता और डिजिटल दक्षता हरित विकास के लिए युवा-उद्योग समन्वय को मजबूत करने के प्रमुख तत्व हैं। ये विचार आज कनोरिया पी.जी. महिला महाविद्यालय में आयोजित प्रथम यूथ सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस-2025 में उभर कर सामने आए।

यह कॉन्फ्रेंस “ग्रीन इंडिया के लिए सस्टेनेबिलिटी स्टोरीटेलिंग: युवाओं को सशक्त बनाने का एक आंदोलन” अभियान के तहत आयोजित की गयी, जिसे जयपुर स्थित लोक संवाद संस्थान (LSS) और नई दिल्ली स्थित सस्टेनेबिलिटी कर्मा के संयुक्त तत्वावधान में शुरू किया गया है। यह एक दिवसीय कार्यक्रम कनोरिया पी.जी. महिला महाविद्यालय में “वॉयसेज़ ऑफ भारत: युवा फॉर सस्टेनेबिलिटी” द्वारा आयोजित किया गया।

कुछ प्रमुख उद्योग और व्यावसायिक समूहों के विशेषज्ञों ने महाविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी हॉल में युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि भारत की हरित अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने वाले कुछ प्रमुख क्षेत्र वित्तीय व्यवहार्यता, रोजगार सृजन और औद्योगिक इकाइयों के दैनिक कार्यकलापों में नवाचार के समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं।

जल संरक्षण विशेषज्ञ एवं मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह और हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधी राजीव ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विद्यार्थियों को सतत विकास और पर्यावरण के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया।

युवा और उद्योग के बीच समन्वय निर्माण पर केंद्रित तकनीकी सत्र में बोलते हुए, ब्लूलीफ एनर्जी के इंडिया कंट्री हेड, प्रत्यूष ठाकुर ने कहा कि आधुनिक तकनीक ने उद्योगों के लिए लाभ अर्जन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी संभव बना दिया है। उन्होंने बताया, “एक अग्रणी नवीकरणीय ऊर्जा मंच के रूप में, ब्लूलीफ एनर्जी ने राजस्थान में 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर इसे एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है।”

बिसलेरी इंटरनेशनल के सस्टेनेबिलिटी व कॉरपोरेट अफेयर्स निदेशक, के. गणेश ने कहा कि उद्योगों को अपने उत्पादन के दौरान संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। उन्होंने सरकार द्वारा अनिवार्य की गई कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) की अवधारणा की सराहना की, जो स्थानीय समुदायों की सेवा में सहायक है।

उन्होंने कनोरिया महिला महाविद्यालय और अन्य संस्थानों के साथ प्लास्टिक कचरा एकत्रण, उसके सुरक्षित निपटान और पुनर्चक्रण के लिए बिसलेरी की साझेदारी का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि उद्योगों को ज्ञान-साझाकरण के लिए एक मंच तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “उद्योगों और संस्थानों के बीच सहयोग से युवाओं की क्षमताओं का दोहन कर समाज में सार्थक योगदान सुनिश्चित किया जा सकता है।”

यूफ्लेक्स की ग्लोबल कम्युनिकेशन प्रमुख, नीरू धवन ने बताया कि उनकी कंपनी, जो भारत की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय फ्लेक्सिबल पैकेजिंग और समाधान कंपनी है, प्लास्टिक सामग्री के पुनर्चक्रण में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “पर्यावरण संरक्षण और उपयोग की गई सामग्री का सुरक्षित निपटान हमारे दैनिक आचरण में शामिल होना चाहिए।”

वेदांता की नंदघर परियोजना की ऑपरेशंस प्रमुख, प्रियंका शर्मा ने भी पर्यावरण संरक्षण में वेदांता समूह के योगदान को रेखांकित किया। राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (RCCI) के अध्यक्ष, के. एल. जैन ने विचारोत्तेजक और व्यापक रूप से सहभागिता वाले इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि उद्योगों को केवल विकास के इंजन नहीं, बल्कि हरित नवाचार के अग्रदूत बनना चाहिए। उन्होंने कहा, “युवाओं की ऊर्जा और उद्योगों के अनुभव एवं संसाधनों को मिलाकर एक हरित, समावेशी और लचीली अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है।”

विगत कई दशकों से उद्योग और स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में सक्रिय जैन ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी भंडारण, हरित अवसंरचना और भवन, सतत कृषि और परिपत्र अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्र अगले दस वर्षों में भारत की हरित अर्थव्यवस्था के रूपांतरण में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने आगे कहा, “शिक्षा जगत और उद्योग के बीच की खाई को पाटने के लिए हमें मिलकर पाठ्यक्रम का सह-निर्माण, इंटर्नशिप्स, अप्रेंटिसशिप्स और मैदान पर अनुभव, अनुसंधान व नवाचार सहयोग, उत्कृष्टता केंद्रों का विकास तथा स्टार्टअप्स और नवाचार प्रयोगशालाओं को प्रोत्साहन देना होगा।”

कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने 'वॉयसेज़ ऑफ भारत: युवा फॉर सस्टेनेबिलिटी' की इस अभिनव पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह देशभर में पर्यावरण जागरूकता और जलवायु कार्रवाई के लिए एक युवा-केन्द्रित जन आंदोलन होगा। विशेषज्ञों ने युवाओं को केवल भविष्य के नेता नहीं, बल्कि आज के समाधानकर्ता बताया और उन्हें जलवायु संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ हरित भारत के साझा दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सहयोग, नवाचार और कौशल विकास के ज़रिए हरित अर्थव्यवस्था को साकार किया जा सकता है।

"वॉयसेज़ ऑफ भारत: युवा फॉर सस्टेनेबिलिटी" के संयोजक और सस्टेनेबिलिटी कर्मा के सलाहकार संपादक राजीव टिक्कू ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य युवाओं को ऐसे कहानीकारों के रूप में प्रशिक्षित करना है जो जन भावनाओं को प्रभावित कर जलवायु कार्रवाई के लिए प्रेरित कर सकें। सह-संयोजक एवं लोक संवाद संस्थान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने कहा कि लाखों युवाओं को सतत विकास के प्रति संवेदनशील बनाना भारत के हरित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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