अन्तर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर किया जागरूक

जीवन अनमोल है , इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें ! 

संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी 

उत्तराखंड (संस्कार सृजन) अन्तर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस 3 जुलाई को मनाया गया । प्लास्टिक बैग पेट्रोलियम उत्पादों से बने होते हैं, जिससे जहरीले रसायन होते हैं | वर्तमान युग में हम प्रतिदिन प्लास्टिक खा पी रहे हैं । प्लास्टिक थैली को नष्ठ होने में हजारो वर्ष लग जाते हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरानाक है | ऐसे एकल प्लास्टिक पर्यावरण को प्रभावित करती है।

प्लास्टिक शब्द ग्रीक भाषा के प्लास्टिकोस से बना है जिसका अर्थ- आकार बनाने या ढालने में सक्षम | पानी की बोतल को लैंडफिल में सडने एवं नष्ठ होने में सैकडो वर्ष लग जाते हैं । प्लास्टिक कितनी जल्दी विघठित होती है। यह सूर्य के प्रकाश के सम्पर्क पर निर्भर करता है।

1907 में प्लास्टिक का जन्म हुआ, 1957 में भारत आया प्लास्टिक । प्लास्टिक का रासायनिक नाम पॉलीथिलीन  है। प्लास्टिक को जलाने से डाया कसीन नाम की गैस निकलती है, जिसके कारण कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है | 

पशुओं के लिए भी ये खतरनाक होता है | जैसे अधिकांश गीला कचरा, केला का छिलका, हरी सब्जिया, प्लास्टिक के बैग में डालकर सड़कों पर फेंक देते हैं। जिसका सेवन पशु करते हैं | माईक्रो प्लास्टिक के कारण सूक्ष्म कण खतरनाक होते है जो वन्य जीव एक मनुष्य को प्रभावित करते हैं। प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है।

केन्द्रीय-प्रदूषण नियनत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में रोज 690 टन, चैन्नई में 429 टन ,कोलकता में 426 टन, मुम्बई में 408 टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है। विश्व का सबसे छोटा देश 'खांडा में सन 2004 में सिंगल-मूज प्लास्टिक बैग और बोतल पर प्रतिबन्द लगा दिया था।

भारत का पहला राज्य सिक्क्म जिसने 1988 में डिस्पोजेबल प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध  लगाया | केरल राज्य का कन्नूर जिला भी शामिल है। 

2 अक्टूबर 2019 में देश भर में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने कदम उठाया। जिसका उद्देश्य पुनः चक्रण के माध्यम से प्रयुक्त प्लास्टिक को नया जीवन देना है ,जो अच्छे तन्त्र के साथ स्थानीय पर्यावरण में सुधार करना, सामाजिक, आर्थीक रूप से वंचित समूह के व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करना है। प्लास्टिक मुक्त वातावरण के लिए स्वयं पहल करनी होगी।

शिक्षक और पर्यावरण मित्र डॉ.अशोक पाल सिंह ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक प्रदूषण उत्पन्न करती है, जिससे लैंडफिल में वृद्धि होती हैं पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र सन्तुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। इसलिए प्लास्टिक का प्रयोग कम करें कपडे के थैले का प्रयोग करें।

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