राजस्थान संगीत नाटक अकादमी में तात्कालिक सुधार के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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संस्कार सृजन @ राम गोपाल सैनी 

जयपुर (संस्कार सृजन) मीरा चैरिटेबल ट्रस्ट के फाउंडर और सेंटर फॉर पब्लिक अवेयरनेस एंड इनफार्मेशन के डायरेक्टर आचार्य सत्यनारायण पाटोदिया ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की कार्यप्रणाली में तात्कालिक सुधार की आवश्यकता को लेकर पत्र लिखा है |

पाटोदिया ने पत्र में बताया कि सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध राजस्थान प्रदेश में कलाओं के संरक्षण और कलाकारों के सम्मान हेतु सन 1959 में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की स्थापना की गई थी, परंतु यह अत्यंत दु:ख और चिंता का विषय है कि वर्तमान समय में यह एक आदमी न केवल अपनी मूल भावना से भटक गई है, बल्कि उसकी कार्य प्रणाली में निष्क्रियता, पारदर्शिता तथा संपूर्ण उदासीनता देखने को मिल रही है |

उन्होंने बताया कि राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर की एक अकादमी अवार्ड योजना भी है। इसके अनुसार प्रदर्शनात्मक कलाओं की विभिन्न 14 विधाओं में प्रतिवर्ष उत्कृष्ट एवं उपलब्धि परक कार्य करने वाले राजस्थान के ऐसे सिद्ध व स्थापित कलाकार जिन्होंने अनवरत साधना से कला जगत को समृद्ध किया है, उनको अकादमी द्वारा सम्मानित करने की योजना संचालित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत फैलोशिप व सम्मान दो स्वरूपों में अवार्ड प्रति वर्ष समारोह पूर्वक प्रदान किए जाते हैं। इस हेतु नॉमिनेशन करने अर्थात नाम का प्रस्ताव देने का अधिकार 6 पदेन संस्थाओं के अधिकारियों को ही दिया गया है। कलाकार सीधा आवेदन नहीं कर सकता है। यह नियम पुराने जमाने में इसलिए बनाया गया था कि अकादमी को बहुत ज्यादा काम नहीं करना पड़े और गुरुजनों तथा चुनिंदा संस्थाओं के उच्च अधिकारियों द्वारा ही किसी भी कलाकार का नॉमिनेशन किया जा सके। इसलिए आज तक कलाकार सीधे आवेदन नहीं कर सकता है।

मुख्य शिकायतें और गंभीर समस्याएँ :-

1. पुराने नियमों का दुष्परिणाम - युवा कलाकारों के साथ अन्याय

आज भी अकादमी केवल कुछ चंद पदेन सदस्यों से ही प्राप्त नामांकन पर विचार करती है और कलाकार को स्वयं आवेदन करने का अधिकार नहीं है। यह प्रणाली न केवल पुराने समय की अवशेष है, बल्कि आज के युवा, मेहनती और प्रतिभाशाली कलाकारों के प्रति पूर्णतः अन्यायपूर्ण है, क्योंकि जिनके पास "उचित संपर्क" नहीं है, वे आज भी "सम्मान" से वंचित हैं।

2. सम्मानों की अनियमितता, क्या राजस्थान में योग्य कलाकार नहीं हैं :-

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी ने 66 वर्षों में जो अवार्ड दिए हैं | उन कलाकारों के नामों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित की है। इस सूचना के आधार पर 66 वर्षों में केवल 7 कलाकारों को फैलोशिप और 20 कलाकारों को सम्मान कथक नृत्य में दिया गया है। विशेषकर, सन 2000 से लेकर सन 2024 तक 24 वर्षों की दीर्घ अवधि में कथक नृत्य में केवल 8 लोगों को यह सम्मान अवार्ड दिया गया है। क्या शेष कलाकार अयोग्य हैं? या फिर नियमों की उलझन और इच्छाशक्ति की कमी के कारण योग्य कलाकार छूट रहे हैं?

3. जानकारी का अभाव कलाकार अंधेरे में हैं :-

कब नामांकन होता है, कैसे किया जाता है, क्या मानदंड हैं इस संबंध में न तो वेबसाइट पर अद्यतन जानकारी है, न ही फोन पर कोई जवाब देता है। अंधेरे में ही सब अवॉर्ड को बांट दिया जाता होगा। इस वर्ष भी आज तक यह सूचना अकादमी ने प्रकाशित नहीं की है। कलाकारों को बार-बार अपमानित और उपेक्षित महसूस करवा दिया जाता है।

4. सूचना देने से भी इनकार RTI का उल्लंघन :-

जब सूचना के अधिकार के अंतर्गत फेलोशिप व सम्मान प्राप्त कलाकारों की सूची और उनके पते मांगे गए, तो यह कहकर इंकार कर दिया गया कि यह गोपनीय सूचना है। कला संस्थाओं में पारदर्शिता का न होना, सबसे बड़ा संकट है।

5. युवा कलाकारों का मनोबल टूट रहा है :-

कई युवा कलाकार कड़ी साधना कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई मार्गदर्शन नहीं, कोई मंच नहीं, कोई सम्मान नहीं मिल रहा है। ऐसी स्थिति में या तो वे इस क्षेत्र को छोड़ देते हैं या उनकी प्रतिभा गुमनाम रह जाती है। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि सन 2000 से लेकर 2024 तक 24 वर्षों की दीर्घ अवधि में केवल 6 युवा कलाकारों को कत्थक नृत्य में युवा पुरुस्कार प्रदान किया गया है।

6. लोकल संस्थाएं भी घोर उपेक्षा की शिकार :-

कई संस्थाएं जो गांवों-कस्बों में लोक कला को जीवित रखे हुए हैं, उन्हें अकादमी के कार्यक्रमों में स्थान नहीं दिया जाता है। उन्हें मान्यता, प्रोत्साहन या आर्थिक सहायता भी नहीं मिलती।

7. तकनीकी रूप से पिछड़ापन-वेबसाइट और लैंडलाइन अनुपयोगी :-

आज नवीन टेक्नोलॉजी का जमाना है और टेक्नोलॉजी तो निरंतर उन्नति कर रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि केंद्रीय संगीत नाटक एकेडमी, नई दिल्ली द्वारा ऑनलाइन आवेदन पत्र कलाकारों से मांगे जाते हैं। इस वर्ष भी ऑनलाइन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 14 जुलाई है। परन्तु आज भी अकादमी केवल कुछ चंद पदेन सदस्यों से ही प्राप्त नामांकन पर विचार करती है और कलाकार को स्वयं आवेदन करने का अधिकार नहीं है।

यहां तक कि पद्म अवार्ड के लिए भी सभी आवेदन ऑनलाइन ही किया जाता है और पद्म अवार्ड 2026 की ऑनलाइन आवेदन भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 है।

राजस्थान अकादमी की वेबसाइट वर्षों से अद्यतन नहीं है और फोन पर कोई उत्तर देता नहीं है। यह एक प्रकार की प्रशासनिक असंवेदनशीलता है। इससे अवार्ड देने में ट्रांसपेरेंसी अर्थात पारदर्शिता आ जाती है। अकादमी को भी प्रतिवर्ष अवार्ड देना चाहिए।

न्याय की अपील- कला एवं संस्कृति के उज्जवल भविष्य के लिए :-

यदि आज युवा कलाकारों का मार्गदर्शन और सम्मान नहीं हुआ, तो भविष्य में राजस्थान की सांस्कृतिक परंपराएँ केवल पुस्तकों में ही रह जाएंगी।राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की योजनाएँ बनाई जाती हैं, लेकिन जब तक उन्हें जमीनी स्तर पर पारदर्शी, समावेशी और निष्पक्ष तरीकों से लागू नहीं किया जाएगा - तब तक सांस्कृतिक मूल्यों का हास और क्षरण होता रहेगा।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए कला के क्षेत्र में कोई योजना नहीं- एक अनुभव

मैं स्वयं इस पत्र के माध्यम से यह साझा करना चाहता हूँ कि 72 वर्ष की आयु में मैंने गायन, वादन और कथक नृत्य का अभ्यास प्रारंभ किया और 78 वर्ष की आयु में 'विशारद' की परीक्षा उत्तीर्ण कर विशेष उपलब्धि प्राप्त की। यह विश्व का एक कीर्तिमान है। संगीत साधना मेरे जीवन की आत्मिक तृप्ति का स्रोत बनी।

परंतु इस संपूर्ण यात्रा में मैंने यह महसूस किया कि राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई विशेष योजना या मंच उपलब्ध नहीं है, जिसमें वे अपनी अधूरी कलात्मक इच्छाओं को पूर्ण कर सकें, या अपनी प्रतिभा को समाज के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।

आज हजारों ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं, जो अपने जीवन के उत्तरार्ध में अपनी आत्मा की पुकार पर कला की ओर लौटना चाहते हैं, परंतु उनके पास कोई मंच, मार्गदर्शन, आर्थिक सहायता या संस्थागत सहयोग नहीं होता।

इसलिए यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि राज्य सरकार-वरिष्ठ नागरिकों के लिए "सांस्कृतिक कला योजना" जैसी कोई पहल करे। ऐसे संगीत साधकों को सम्मान प्रदान करे, जो जीवन की उत्तर अवस्था में भी संगीत कला को जीवित रखने हेतु समर्पित हैं।

संगीत एवं नृत्य विद्यापीठों को निर्देश दे कि वे वरिष्ठ आयु वर्ग के छात्रों के लिए अलग बैच, रियायतें अथवा ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन माध्यम प्रदान करें।

कला केवल युवाओं की ही नहीं होती। वह हर उम्र की अभिव्यक्ति है :-

यदि सरकार "स्किल इंडिया" और "लाइफ लॉन्ग लर्निंग" जैसे अभियान चला सकती है, तो फिर कला साधना के लिए उम्रदराज संगीत कलाकारों को क्यों भुला दिया गया है?

सीएम से मांग की गयी कि सम्मान अवार्ड के लिए कलाकारों को स्वयं ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दी जाए। अकादमी के कला के क्षेत्र में सम्मान की प्रक्रिया को वार्षिक रूप से अनिवार्य किया जाए। चयन मानदंड, प्रारम्भ एवं अंतिम तिथियाँ तथा प्राप्त नामों की सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाए। युवा कलाकारों और छोटे शहरों/गांवों के कलाकारों को प्राथमिकता दी जाए। संपर्क प्रणाली (वेबसाइट, लैंडलाइन, ईमेल) को दुरुस्त किया जाए।

किसी भी कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए संपर्क करें - 9214996258,7014468512.

बहुत जरूरी सूचना :- 

1. रात को दुर्घटना से बचने के लिए अपनी गाड़ी को लो बीम में चलाएँ !

2. खुले कुओं और नलकूप को जल्द से जल्द बंद करवाएं !

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1. हम सभी किसी ना किसी रूप में जरूरतमंदो की सेवा कर सकते हैं | 

2. पड़ोसी भूखा नहीं सोए इसका ध्यान रखें |

3. जीवन में आप इस धरती पर अपने नाम का एक पेड़ जरूर लगाएँ |

4. बेजुबानों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था जरूर करें !

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