राजस्थान सरकार ने की पारम्परिक खेल थांग-ता को बढ़ावा को देने की घोषणा

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संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

जयपुर (संस्कार सृजन) राजस्थान सरकार की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी की ओर से पेश किए बजट में खेल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कबड्डी, रस्साकसी, खो-खो, मलखंभ के साथ पारम्परिक खेल थांगता मार्शल आर्ट खेल को भी शामिल किया है। 

पारम्परिक खेलो को धरातल पर उतारने और ग्रामीण संस्कृति में उत्सवों में शामिल करने के लिए राजस्थान सरकार सकारात्मक प्रयास कर रही बजट घोषणा मे पारम्परिक खेलों मे थांगता मार्शल आर्ट खेल को बढ़ावा देने के  लिए झुंझुनूं के लांबा निवासी राजस्थान थांग ता संघ की प्रदेश सचिव कोमल कंवर ने बजट घोषणा में थांगता खेल को खेल पर्यटन में शामिल करने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और केंद्रीय खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का आभार जताया है। 

कोमल कंवर ने बताया कि थांगता मार्शल आर्ट खेल एक पारम्परिक विलुप्त हो चुका खेल है। लेकिन वर्तमान समय में इसका चलन बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने बजट घोषणा में जो पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं वह सराहनीय कदम है।

संघ के ब्रजराज सिंह ने बताया कि थांगता खेल मुख्यत मणिपुर राज्य का प्रमुख खेल है। जिसे अंग्रेजी शासन में प्रतिबंध कर दिया गया था। थांगता खेल भारतीय  प्राचीन खेल है जिसमें राजाओं द्वारा अपने सिपाहियों को युद्ध के लिए तैयार किया जाता था।। थांगता में तलवार, ढाल, भाला आदि जैसे विभिन्न बाहरी हथियारों से खेला जाता हैं |

संघ के उम्मेद सिंह शेखावत ने बताया कि मणिपुर में थांग ता 150 साल पहले से खेली जा रही है | अंग्रेज सरकार ने इस मार्शल आर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था कुछ समय बंद रहने के बाद थांग ता के गुरु कहे जाने वाले महाराज चुराचंद ने 30 मई 1934 को फिर से प्रारंभ कर दिया गया और इसे मणिपुर की स्कूल में एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाता है।

* 21 नवंबर 1993 में थांग ता का पहला राष्ट्रीय प्रतियोगिता इंफाल मणिपुर में कराए गई और इस में 14 राज्यो की टीमों ने भाग लिया।

* 12 दिसम्बर 2006 को थांग ता को इंडियन ओलंपिक संघ ने मान्यता दे दी।

* 11 मार्च 2011 को पहली इंटरनेशन थांग ता चौंपियनशिप का आयोजन इंफाल में हुआ | जिसमें 10 देशों की टीमों ने भाग लिया | भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मलेशिया, यूके, श्रीलंका, इंडोनेशिया, जापान व साउथ कोरिया ने भाग लिया।

* 27 मई 2011 को स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने अपने खेलो में शामिल कर लिया।

* 23 अप्रैल 2013 में झारखण्ड में पहली एशियन चौंपियनशिप का सफल आयोजन हुआ।

* 5 सितंबर 2013 को वर्ल्ड मार्शल आर्ट यूनियन की 12 वी मीटिंग में थांग ता को वर्ल्ड मार्शल आर्ट यूनियन में शामिल कर लिया।

* 21 दिसंबर 2020 को थांग ता को खेलो इंडिया में शामिल कर लिया गया।

* अब तक थांग ता फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के तत्वाधान में 30 नेशनल हो चुके हैं।

* 2 सितंबर 2022 को अलवर राजस्थान में नॉर्थ, ईस्ट, ओर वेस्ट जोन की थांग ता कोचेस ट्रेनिंग ओर टाइम स्कोरिंग रिजल्ट (टी. एस. आर ) राजस्थान थांग ता संघ के तत्वाधान में आयोजन किया गया |  जिसमें 18 राज्यों से 60 कोचे ने भाग लिया था।

राजस्थान थांगता संघ लगातार इस खेल के प्रति लोगों को जोड़कर प्राचीन खेल की उपयोगिता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। राजस्थान के खिलाड़ी भी थांगता खेल के अंतर्गत 13 बच्चे अब तक खेलों इंडिया में भाग ले चुके हैं। 

राजस्थान थांग ता संघ के तत्वावधान में चार राज्य स्तरीय रैफरी सेमीनार, दो सब जुनियर, जुनियर और सीनियर राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं हो चुकी है। राजस्थान के समस्त जिला थांगता संघ भी थांगता मार्शल आर्ट खेल के प्रति रूचि पैदाकर खिलाड़ियों को जागरूक कर रहै है। बजट घोषणा के दौरान थांग ता खेल को खेल पर्यटन मेले में शामिल किया गया है। जो पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने का बेहतर प्रयास हैं। 

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