स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने किया श्री परशुराम चालीसा का विमोचन

जीवन अनमोल है इसे आत्महत्या कर नष्ट नहीं करें !

सुबह की शुरुआत माता-पिता के चरण स्पर्श से करें !

संस्कार सृजन राम गोपाल सैनी

प्रयागराज (संस्कार सृजन) महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा आयोजित महाशिविर में अनंत विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज द्वारका शारदा पीठ की पादुका का पूजन राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक एवं नि.राज्य मंत्री पंडित सुनील भराला द्वारा किया गया | इसके साथ ही उन्होंने आरती उतारी और अनंत विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज द्वारका शारदा पीठ को भगवान श्री परशुराम जी की दिव्य मूर्ति, फरसा एवं चित्र भेंट किया | 

इस अवसर पर राष्ट्रीय परशुराम परिषद कुंभ आयोजन के मुख्य प्रबंधक महेंद्र कनोडिया द्वारा अंग वस्त्र पहनाकर अनंत विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज द्वारका शारदा पीठ का भव्य स्वागत एवं सम्मान किया गया।

महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा आयोजित महाशिविर में "भगवान श्री परशुराम: एकात्म वैश्विक आवश्यकता" विषय पर भव्य अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक एवं नि.राज्य मंत्री पंडित सुनील भराला के प्रयासों द्वारा पहली बार पृथ्वी पर भगवान श्री परशुराम जी की 51 फीट की प्रतिमा का अनावरण, भगवान श्री परशुराम चालीसा एवं आरती का विमोचन हुआ।

राष्ट्रीय परशुराम परिषद के महाशिविर में अनंत विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन धर्म की नींव तब से है जब से सृष्टि का आरंभ हुआ। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुरूप वर्ण व्यवस्था प्रारंभ से रही है और हमेशा रहेगी। जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलने वालों को सबक सिखाना चाहिए, क्योंकि जातिवादी सोच को समाप्त करना आवश्यक है। उन्होंने "सनातन बोर्ड" पर चर्चा करते हुए कहा कि साधु-संतों और अखाड़ा परिषद की सहमति के अनुसार भारत सरकार को सनातन बोर्ड की स्थापना करनी चाहिए, जिससे मंदिरों का रखरखाव सुनिश्चित हो सके।

जगदगुरु  शंकराचार्य ने राष्ट्रीय परशुराम परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि भगवान श्री परशुराम जी पर जो कार्य हो रहा है, वह अत्यंत सराहनीय और अद्वितीय है। उन्होंने पंडित सुनील भराला को इस प्रयास के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह कार्य सनातन धर्म को नई दिशा देगा। 

जगतगुरु शंकराचार्य ने अपने संबोधन में बोलते हुए कहा की सनातन में और पृथ्वी पर जब से सृष्टि बनी है उसके उपरांत सनातन धर्म जन्म लिया है, जब से हमारे भारतीय संस्कृति के अनुरूप वर्ण व्यवस्था कायम रही है पहले भी जाति रही है, अभी भी जातियाँ है और जाति रहेगी | जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलने वालों को सबक सिखाना चाहिए के जाति व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकते पर जातिवादी लोगों को खत्म कर सकते हैं | उन्होंने सनातन बोर्ड पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत सरकार के द्वारा साधु संतों ने अखाड़ा परिषद ने जो निर्णय हुआ हम सब की सहमति के अनुसार भारत सरकार सनातन बोर्ड की स्थापना करें जिसमें मंदिरों का रखरखाव महंत रखें और उसे व्यवस्था को जो सनातन परंपरा है उसको कायम रखा जा सके अभी ऐसे बहुत मंदिर भारतवर्ष में है जहां पर उनका ठीक से रखरखाव भी नहीं हो पता है पुजारी को भत्ता पेंशन जैसी चीजों की आवश्यकता नहीं लेकिन जहां उनकी सनातनी आवश्यकता है उसको वह पूर्ण कर सके |  

जगतगुरु शंकराचार्य ने राष्ट्रीय परशुराम परिषद के महाशिविर में बोलते हुए कहा कि मुझे बहुत अच्छा लगा भगवान परशुराम जी पर जो यह कार्य हो रहा है यह बहुत अद्भुत है यह पहले होना चाहिए था परंतु राष्ट्रीय परशुराम परिषद के संस्थापक ने निवर्तमान राज्य मंत्री पंडित सुनील भराला ने जो एक कदम उठाया है यह सराहनीय है | सनातन में भगवान परशुराम जी का अवतारी रूप मूल रूप से उल्लेखित ही नहीं पृथ्वी पर उनका लोक कल्याण के अनेक कार्य है जैसे तमिलनाडु, केरल, गोवा, महाराष्ट्र ,कर्नाटक जो पोकरण के नाम से जाना जाता है वह पूरा हिस्सा भगवान श्री परशुराम जी का क्षेत्र है | उन्होंने तबाही होते हुए लोक कल्याण को बचाने के लिए अपने फरसे पर फेक करके उसे पर बसाने का कार्य किया था यह कार्य अद्भुत है और यहां परिषद के परिसर में 1 लाख 8 हजार भगवान श्री परशुराम जी की मूर्ति वितरण भगवान परशुराम जी का चालीसा जिसका आज विमोचन हुआ है | यह सनातनी परम में राष्ट्रीय परशुराम परिषद संगठन को और सुनील भराला को हृदय की गहराई से मैं आशीर्वाद देता हूं और इनको इस कार्य करने की असीम शक्ति प्रदान होती रहेगी उन्होंने कहा कि इस परिसर में यज्ञ और श्री परशुराम कथा का कार्य भी अद्भुत हो रहा है इसके लिए भी धन्यवाद देता हूँ | 

महाशिविर में यज्ञ, भगवान श्री परशुराम जी की कथा, और भगवान श्री परशुराम जी की 1,08,000 मूर्तियों के वितरण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनंत विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने परिषद को हृदय से आशीर्वाद दिया और सनातन धर्म को मजबूत करने के प्रयासों की प्रशंसा की |

कार्यक्रम में मुख्य रूप से आचार्य महेंद्र जोशी संयोजक धर्म प्रकोष्ठ ,शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी राष्ट्रीय सह संयोजक , राजपुरोहित आचार्य मधुर सह संयोजक धर्माचार्य प्रकोष्ठ , सवितुर प्रसाद शर्मा पूर्व भारतीय सिविल सेवा अधिकारी, अशोक शर्मा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सहित कई प्रमुख विद्वान और पदाधिकारी उपस्थित रहे |

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